देवी मां का सबसे निर्मल और शीतल रुप, जिनकी उपासना से मिट जाते हैं सारे रोग-दोष। दूर हो जाता है संक्रामक बीमारियों का प्रकोप। कहते हैं शीतला अष्टमी के दिन देवी की उपासना से विशेष लाभ मिलता है। मान्यता यह भी है कि शीतला अष्टमी का व्रत रखने वाले इंसान के संपूर्ण कुल के रोग-दोष को मां शीतला हर लेती है। आइए जानते हैं क्या है मां शीतला की महिमा और क्यों मनाते हैं शीतला अष्टमी का पर्व।
शुभ मुहूर्त व तारीखइस वर्ष शीतला अष्टमी 9 मार्च को मनाई जाएगी। पूजन का शुभ मुहूर्त प्रातः 06:41 बजे से सायं 06:21 बजे तक है। मुहूर्त की कुल अवधि 11 घंटे 40 मिनट की है।
मां शीतला की महिमासबसे पहले उनका उल्लेख स्कंदपुराण में मिलता है। इन्हें बहुत ही सम्मान प्राप्त है। इनका स्वरूप बेहद ही शीतल व रोगों को हरने वाला है। इनका वाहन है गधा और हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते हैं। मुख्य रुप से इनकी उपासना गर्मी के मौसम में की जाती है। इनकी उपासना का मुख्य पर्व शीतला अष्टमी है। इस दिन माता को शीतल और बासी खाद्य पदार्थ चढ़ाया जाता है, जिसे बसौड़ा भी कहते हैं। इन्हें चांदी का चौकोर टुकड़ा अर्पित करते हैं जिस पर उनका चित्र बना हो। आमतौर पर इनकी उपासना बसंत और गर्मी के मौसम में होती है।
शीतला अष्टमी का वैज्ञानिक आधार और लाभचैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ़ कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी के रुप में मनाया जाता है। इस दिन आखिरी बार आप बासी भोजन खा सकते हैं। शीतला अष्टमी के बाद बासी भोजन का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से सेहत बिगड़ सकती है। यह पर्व गर्मी की शुरुआत में आता है यानि गर्मी में आप क्या प्रयोग करे इस बात की जानकारी मिलती है। गर्मियों में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए इसका भी सूचकांक है शीतला अष्टमी।
महत्वपूर्ण तथ्य व महत्वइस व्रत में मिठाई, पुआ, पूरी, दाल-चावल आदि एक दिन पहले से ही बनाए जाते हैं, अर्थात व्रत के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। व्रती रसोईघर की दीवार पर 5 अंगुली घी में डुबोकर छापा लगाते हैं व इस पर रोली, चावल आदि चढ़ाकर मां के गीत गाए जाते हैं। परंपरा अनुसार महिलाएं मां शीतला को बसौड़ा बनाकर पूजती हैं। पूजा करने के बाद बसौड़ा का प्रसाद अपने परिवार में बांट कर सभी साथ में मिलकर बासी भोजन कर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन शीतला माता की कथा भी सुननी चाहिए।
शीतला अष्टमी के दिन सभी भक्त खुशहाली और सलामती की कामना लेकर मां शीतला के दरबार में माथा टेकते हैं। मन्नतें मांगते हैं व पूजा अर्चना करते हैं। तभी तो भक्तों के श्रद्धा से प्रसन्न होकर मां शीतला उन्हें आरोग्य, सुख और सुरक्षा का वरदान देती हैं। तो आप भी मां शीतला के इस पर्व का लाभ उठाइए, देवी को प्रसन्न कीजिए जीवन संवर जाएगा।