दीपावली हिन्दू धर्म में सबसे बडा त्यौहार है जिसे रोशनी का त्यौहार भी कहा जाता है। दीवाली अज्ञानता रूपी अंधकार मिटा कर जीवन में ज्ञान का प्रकाश व समृद्धि लाती है। यह त्यौहार धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली,गोवर्धन पूजा व भाईदूज के रूप में पांच दिनों तक पूरे उत्साह व धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
दीपावली मुहूर्त 2018
तिथि व वार | 7 नवंबर,बुधवार |
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त | 18:06 से 20:02 तक |
प्रदोष काल | 17:36 से 20:14 तक |
वृषभ काल- | 18:06 to 20:02 |
अमावस्या तिथि आरंभ | 22:27 (06 नवंबर) |
अमावस्या तिथि समाप्त- | 21:31 (07 नवंबर) |
धनतेरस (5 नवंबर)
हर वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाई जाती है। इस दिन धनवंतरि देव की खासतौर पर पूजा होती है। भगवान धन्वन्तरि को आयुर्वेद का आचार्य और देवताओं के वैद्य भी कहा जाता है। धनतेरस पर बर्तन व चांदी से निर्मित सामान खरीदना शुभ माना जाता है। शाम के समय घर के आंगन में या दक्षिण दिशा में घी का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय भी दूर होता है।
नरक चतुर्दशी (6 नवंबर )
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। लोग इस पर्व को छोटी दीवाली भी कहते हैं और दीवाली से एक दिन पहले इसे मनाया जाता है । इस दिन भी दीपक जलाना शुभ माना गया है।
बडी दीपावली व लक्ष्मी पूजन
- कार्तिक मास की अमावस्या को बडी दीपावली मनाई जाती है और इस दिन लक्ष्मी—गणेश जी का शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक पूजन भी किया जाता है।
- इस दिन व्रत रखा जा सकता है। पूजन के समय घर के सभी सदस्यों को घर से बाहर भी नहीं जाना चाहिए।
- विधिपूर्वक मुहूर्त में श्रद्वा के साथ पूजन करने से लक्ष्मी जी घर में निवास करती है, लक्ष्मी प्रसन्न होने पर मानसिक, शारीरिक कष्टों को दूर कर जीवन सुखमय बनाती है।
- धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि देवी लक्ष्मी उसी जगह निवास करती है जहां साफ—सफाई व उजाला होता है इसलिए दीपावली पर घर,कार्यालय,मंदिर सभी जगह चारों ओर रोशनी व सजावट की जाती है जिससे लक्ष्मी का आगमन होता है और नकारात्मक उर्जा दूर होकर सकारात्मक उर्जा प्रवेश करती है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम अपने चौदह वर्ष के वनवास व रावण का वध करने के बाद वापस अयोध्या आए थे और अयोध्यावासियों ने खुशी में भगवान राम के स्वागत में घी के दीपक जलाए जिससे अमावस्या की रात भी पूर्णिमा की तरह जगमगा उठी और उसी दिन से हर वर्ष यह त्यौहार दीपावली के रूप में धूमधाम से मनाया जा रहा है।
गोवर्धन पूजा (8 नवंबर )
दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा पर्व मनाया जाता है जिसका भी विशेष महत्व माना गया है। इस दिन गौ धन यानि गायों की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। इसलिए गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए इस दिन गाय व गोवर्धन की पूजा की जाती है।
भाई दूज (9 नवंबर )
गोवर्धन पूजा के बाद आने वाला पर्व भाई दूज भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक होता है। भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की दूसरी तिथि को मनाया जाने वाला पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती है। वहीं भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार भेंट करता है।
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|| आप सभी को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं ||