न्याय प्रिय शनि देव की जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को धूमधाम से मनाई जाती रही है। ज्योतिषशास्त्र में शनि को न्याय का देवता माना है और गोचर में सबसे धीरे चलने वाला ग्रह भी हैं। शनि का वर्ण काला होता है और इनकी पूजा से जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
शनि जयंती 2019
शनि जयंती | 3 जून, सोमवार |
अमावस्या तिथि आरम्भ | 02 जून, 16:38 से |
अमावस्या तिथि समाप्त | 03 जून 2019 15:30 तक |
इस तरह पूजा से शनि की होगी कृपा
न्याय के देवता शनि कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। शनि देव की पूजा में कई बातों का विशेष ध्यान अर्थात सावधानी रखनी चाहिए। शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी स्नान के बाद एक लकड़ी के पाट पर काला कपड़ा बिछा देना चाहिए और उस पर शनिदेव की मूर्ति या फोटो रख देनी चाहिए। बाद में शुद्ध सरसों या तिल के तेल का दीप व धूप जलाकर विधिपूर्वक पूजा के बाद प्रसाद चढाया जा सकता है।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
शनि जयंती के दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जिससे शनिदेव की विशेष कृपा होने से कष्ट दूर होंगे।
- इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करना चाहिए।
- हनुमानजी के मंदिर में दर्शन भी अवश्य करने चाहिए जिसका विशेष सकारात्मक परिणाम मिलता है।
- शनि जयंती पर तेल में बनी खाद्य सामग्री का गाय, कुत्ता व निर्धन लोगों को दान किया जाना चाहिए।
- विकलांग व वृद्ध व्यक्तियों की इस खास दिन सेवा करनी चाहिए।
- धर्म ग्रंथ अनुसार शनि की पूजा व भक्ति करने वाले को मांस व मदिरा का कभी सेवन नहीं करना चाहिए अन्यथा शनि की बुरी नजर से परेशान होना पड सकता है।
साढे साती,ढैया की पीडा होंगी शांत
जिन लोगों की जन्म कुंडली अनुसार शनि की साढे साती या ढैया चल रही हो उन्हें इस दिन विशेष पूजा व व्रत रख कर अपनी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए शनि देव से प्रार्थना भी करनी चाहिए।
शनि मंत्र का करें जाप
शनि जयंती के दिन शनिदेव के मंदिर में जाकर शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का कम से कम 108 बार जाप किया जाना चाहिए। इसके साथ शनि चालीसा का पाठ भी किया जा सकता है और तिल,तेल का दान व दीपक जलाया जाना चाहिए। इस तरह पूजा से शनि की साढे साती व ढैया से संबंधित परेशानियों से छुटकारा मिलेगा।