हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व है इसलिए इस खास दिन का सुहागिन महिलाओं को विशेष इंतजार रहता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत व विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। करवा चौथ के दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र व सुखी गृहस्थ जीवन के लिए उपवास रखती है।
करवा चौथ तिथि व मुहूर्त
करवा चौथ तिथि | गुरूवार, 17 अक्टूबर, 2019 |
करवा चौथ पूजा मुहूर्त | 17:46 से 19:02 |
चंद्रोदय | 20:20 |
चतुर्थी तिथि आरंभ | 06:48, 17 अक्टूबर |
चतुर्थी तिथि समाप्त | 07:28 18 अक्टूबर |
करवा चौथ पर यह है पूजा विधान — सुहागिन महिलाएं सुबह इस व्रत का संकल्प लेकर रात को चंद्रमा के दर्शन करने तक बिना जल व भोजन लिए रहती हैं। करवा चौथ व्रत के दिन शाम के समय विधिवत रूप से भगवान शिव,देवी पावर्ती,चौथ माता,कार्तिकेय,गणेश जी व चंद्रमा का पूजन व कथा कही जाती है।
वैवाहिक जीवन में शुभता व सकारात्मकता का संदेश — इस खास दिन सुहागिन महिलाएं पूरे उत्साह के साथ श्रृंगार करती हैं। वैवाहिक जीवन में इस व्रत का बहुत महत्व माना है इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाएं श्रृंगार कर लाल रंग के वस्त्र भी पहनती हैं क्यों कि लाल रंग वैवाहिक जीवन में शुभ व सकारात्मकता का प्रतीक होता है।
रात में चंद्र दर्शन करने का महत्व — करवा चौथ व्रत के दिन रात्रि में चंद्रमा के दर्शन करने व अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है तभी इस व्रत को संपूर्ण माना जाता है। रात्रि के दौरान सुहागिन महिलाएं छलनी की ओट से चांद देखने के बाद अर्घ्य देती हैं और अपने पति के पैर छूती हैं। इस अवसर पर सुहागिन महिलाएं अपने ससुराल में सास,ससुर,उम्र में बडी महिलाओं के पैर भी छूकर आशीर्वाद लेती हैं। इसके बाद ही लेकर करवा चौथ का व्रत खोला जाता है।
धार्मिक ग्रंथों में है करवा चौथ व्रत की महिमा का वर्णन — करवा चौथ के व्रत की महिमा हजारों वर्ष पुरानी है और इस व्रत का धर्म शास्त्रों में भी उल्लेख किया जाता रहा है। पति की लंबी आयु की कामना के लिए किए जाने वाले इस व्रत से परिवार में भी सुख शांति का संचार होता है।