हिंदू धर्म में गाय को माता मानकर सभी देवी—देवताओं का वास भी माना है। गाय के मूत्र का धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व है और वास्तुदोष दूर होने के साथ सेहत को बेहद लाभ मिलते हैं। जानिये,गौ मूत्र का किस तरह उपयोग किया जाए और क्या लाभ मिलते हैं।
कई बीमारियों से बचाव करता है गौमूत्र – गौमूत्र का धार्मिकता के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है और वैज्ञानिक अनुसंधान में यह पाया है कि गौमूत्र का विधिपूर्वक सेवन इंसान की सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसमें शरीर की गंभीर बीमारियों को ठीक करने के लिए जरूरी तत्व मौजूद होते हैं।
- इंसान के शरीर में वात, कफ और पित्त के असंतुलन से कई रोग हो जाते हैं इसलिए इस स्थिति में गौमूत्र का सेवन विशेष फायदा पहुंचाता है और देसी गाय का गौमूत्र वात, कफ और पित्त को सम अवस्था में लाने के लिए उपयोगी साबित होता है।
- पेट से संबंधित बीमारियां भी व्यक्ति को कभी न कभी परेशान करती हैं इसलिए इन बीमारियों से पूर्ण रूप से छुटकारा पाने में गौमूत्र का विधिपूर्वक सेवन करना फायदेमंद रहता है।
- चिकित्सा विज्ञान के अनुसार गौमूत्र के सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और हमेशा सेहत स्वस्थ रहती है।
- गौमूत्र त्वचा संबंधित रोगों को भी दूर करता है और नियमानुसार शरीर पर इसकी मालिश करने से त्वचा के सफेद दाग—धब्बे दूर होने लगते हैं।
वास्तुदोष दूर करने में गौमूत्र का महत्व —
- गौमूत्र शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही घर,कार्यस्थल के वास्तुदोष भी दूर करता है। गौमूत्र के छिडकाव से नकारात्मक उर्जा का नाश होता है जिससे वास्तुदोष नहीं बनते हैं।
- वास्तुदोष दूर होने पर घर में हमेशा सुख—समृद्धि का वास बना रहता है और हमेशा शांति व खुशहाली रहती है।
- गौमूत्र की गंध से वातावरण में हानिकारक कीटाणुओं का नाश भी हो जाता है जिससे परिवार के सदस्य हमेशा स्वस्थ रहते हैं।
इस तरह पवित्र गौमूत्र के उपयोग से सेहत को लाभ के साथ घर में सुख—समृद्धि का वातावरण और देवी—देवताओं की कृपा मिलती है।
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