किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए मेहनत के साथ भाग्य का मजबूत होना भी बहुत आवश्यक है। भाग्य का साथ नहीं मिलने पर असफलता का सामना करना पड जाता है। ज्योतिषशास्त्र में भाग्य की मजबूती के लिए रत्न धारण करना एक अचूक उपाय है और कुछ ऐसे भी रत्न हैं जिन्हें नियमानुसार पहनने पर सोया भाग्य जाग जाता है। जानें,भाग्य की मजबूती के लिए रत्न धारण करने के महत्वपूर्ण नियम।
नवम भाव का रत्न — कुण्डली का नवम भाव महत्वपूर्ण होता है। भाग्य की वृद्वि और साथ मिलने के लिए कुंडली के इस भाव को मजबूत करना चाहिए इसलिए इस नौवें घर में जो राशि होती है उस राशि के स्वामी ग्रह की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। अगर नवें भाव का स्वामी ग्रह कमजोर है तो संबंधित रत्न पहना जा सकता है।
माना अगर किसी व्यक्ति की वृश्चिक लग्न की कुण्डली है तो इसमें नवम घर में कर्क राशि होती है और इस राशि का स्वामी चन्द्रमा होता है। यदि चन्द्रमा कुंडली में पहले से मजबूत व शुभ है तो भाग्य हमेशा साथ देगा लेकिन चंद्रमा कमजोर है तो इसका रत्न मोती पहनना चाहिए जिससे किस्मत का हमेशा साथ मिलता रहेगा।
कुंडली देखकर रत्न का चयन — अगर रत्न धारण कर रहे हैं तो पहले कुंडली में ग्रहों की स्थिति देखनी चाहिए इसलिए पहले कुंडली का सूक्ष्म निरीक्षण जरूरी है।
इन बातों का ध्यान रख पहनें रत्न— व्यक्ति को अनुभवी ज्योतिषी से अपनी लग्न कुंडली में ग्रहों की स्थिति का निरीक्षण, दशा-महादशा का अध्ययन करवाने के बाद रत्न पहनना चाहिए। ज्योतिष अनुसार लग्न कुंडली में कारक ग्रहों (लग्न, पंचम, नवम) भाव के रत्न पहन कर भाग्य की मजबूती व शुभ परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
महत्वपूर्ण रत्न — अनुभवी ज्योतिषी की सलाह व कुंडली का अध्ययन करवाने के बाद मोती रत्न धारण करने पर श्रेष्ठ परिणाम मिलते हैं। मोती रत्न धारण करने पर कुंडली में चंद्रमा की मजबूती से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।इसी तरह कुंडली विश्लेषण व अनुभवी ज्योतिषी की सलाह के बाद गुरू ग्रह के रत्न पुखराज और बुध ग्रह के रत्न पन्ना,शनि के रत्न नीलम,मंगल ग्रह के रत्न मूंगा को भी पहन सकते हैं।
रत्न संबंधित अधिक जानकारी के लिए पंडित पवन कौशिक से संपर्क करें: +91-9990176000