ज्योतिषशास्त्र में पितृदोष को महत्वपूर्ण दोष माना है। कुंडली में इस दोष की वजह से इंसान को बार—बार असफलताओं का सामना करना पडता है और तरक्की में बाधाएं आती हैं जिससे जीवन बर्बादी की ओर जाता हुआ नजर आता है। मगर पितृदोष की आसानी से पहचान कर और उपाय कर इस दोष की पीडा से मुक्ति मिल सकती है।
पितृदोष के प्रमुख कारण — कुंडली में पितृदोष होने के कई कारण होते हैं। कुंडली में सूर्य व मंगल ग्रह अगर पाप भाव में हैं तो पितृदोष की स्थिति बन जाती है। गुरु ग्रह पर अशुभ ग्रहों का असर हो या गुरु 4-8-12वें भाव में हो अथवा नीच राशि में हो तो पितृदोष बनता है।
सूर्य व चन्द्र अगर राहु,केतु की युति में हो तो भी कुंडली में पितृदोष बनता है। इसके अलावा यदि शनि की सूर्य पर दृष्टि से पितृ दोष बनता है।
लक्षण — पितृदोष की वजह से जीवन में उतार—चढाव की स्थिति बनी रहती है। इसके अलावा शादी में बहुत देरी, वैवाहिक जीवन में कलह,संतान न होना, परीक्षा,इंटरव्यू में असफलता, नौकरी छूट जाना, अकाल मृत्यु,शारीरिक,मानसिक कष्ट व धन की हानि जैसे लक्षणों से पितृदोष को आसानी से पहचाना जा सकता है।
पितृदोष दूर करने के आसान उपाय — ज्योतिषशास्त्र में बताए उपायों को करने पर पितृदोष की पीडा से मुक्ति मिल सकती है।
- पितृदोष से पीडित इंसान को अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म विधिवत रूप से संपन्न करना चाहिए तभी इस दोष में राहत मिलती है।
- अपने पूर्वजों के प्रति मन में हमेशा श्रद्धा भाव रखने व याद रखने से भी पितृदोष दूर होता है।
- रोज अपने ईष्टदेव व कुल देव की पूजा ध्यान करने से भी पितृदोष में शांति मिलती है।
- धार्मिक ग्रंथों,मंत्रों के अध्ययन व पढने से भी पितृदोष में धीरे धीरे राहत मिलती है और दुष्प्रभाव दूर होता है।
- ज्योतिष अनुसार बृहस्पतिवार शाम को अपने आसपास पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाने के बाद सात बार पीपल की परिक्रमा करने पर भी पितृदोष की पीडा से मुक्ति मिल पाती है।
- रोज हनुमान जी की पूजा व हनुमान चालीसा का पाठ भी पितृदोष में राहत दिलाता है।
- परिवार में पिता,दादा पूवर्जों की सेवा और सम्मान करने से भी पितृदोष से परेशान नहीं होना पडता है।
कुंडली व संबंधित दोषों की अधिक जानकारी के लिए पंडित पवन कौशिक से संपर्क करें: +91-9990176000