वास्तु शास्त्र एक विज्ञान है। अगर घर,ऑफिस का वास्तु सही है तो सुख—शांति और तरक्की मिलती है लेकिन वास्तुदोष होने पर कई प्रकार की परेशानियों का आना शुरू हो जाता है।ऐसी स्थिति में वास्तु दोषों को पूरी तरह खत्म करने के लिए वास्तु दोष निवारण यंत्र की विधिपूर्वक स्थापना व पूजा करनी चाहिए जिससे सकारात्मक परिणाम मिलते है।
बिना तोडफोड के वास्तुदोष होते हैं दूर – अगर घर या कार्यालय में वास्तुदोष ज्यादा हैं तो ऐसी स्थिति में वास्तुदोष दूर करने के लिए बार—बार तोडफोड करना उचित नहीं होता है इसलिए वास्तुदोष निवारण यंत्र की स्थापना की जाती है।यंत्र की स्थापना के बाद अनहोनी,नुकसान व दुर्भाग्य से बचाव होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
इस दिशा में करें स्थापित – वास्तु दोष निवारण यंत्र को पूजा घर में स्थापित करना चाहिए। यंत्र को उत्तर या पूर्व दिशा में विधिवत रूप से स्थापित करना चाहिए।
यंत्र की पूजा का नियम – वास्तु दोष निवारण यंत्र की पूजा की शुरूआत घी का दीया जलाकर करनी चाहिए। यंत्र के पास ताजा फूल भी रखने चाहिए। यंत्र की पूजा के दौरान कम से कम 21 बार इसके बीज मंत्र का जाप और सुख—शांति की कामना करनी चाहिए। वास्तु यंत्र के साथ वास्तु पुरूष व देवी—देवताओं की पूजा भी करनी चाहिए।
यंत्र के चमत्कारिक फायदे – इस यंत्र की स्थापना से सभी ग्रहों के शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। परिवार में सुख शांति बनी रहती है और आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक असर पडता है।सकारात्मक ऊर्जा के संचार से परिवार के सदस्यों की सेहत स्वस्थ रहती है। कार्यालय में भी वास्तुदोष दूर होने से सकारात्मक ऊर्जा के संचार से व्यवसाय में तरक्की के योग बनते हैं।
पंच तत्वों का संतुलन – यंत्र के सकारात्मक प्रभाव से पांच तत्व पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और अंतरिक्ष के बीच संतुलन बनता है जिससे शुभ परिणाम मिलना शुरू हो जाते हैं और सकारात्मक परिणाम मिलने से घर में सुख—शांति का वातावरण व कार्यस्थल पर उत्साह व प्रगति का माहौल बनता है।
इस तरह विधिवत रूप से वास्तु दोष निवारण यंत्र की स्थापना कर अनुकूल परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
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