आधुनिक युग में व्यापार चलाना और उसमें तरक्की हासिल करना कठिन कार्य है।कई लोगों को आए दिन अपनी दुकान,व्यापार में चोरी,आग सहित कई कारणों से नुकसान उठाना पड जाता है। व्यापार में रोज हो रही हानि,नुकसान को रोकने के लिए व्यापार वृद्धि यंत्र स्थापित करना चाहिए जिससे सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
व्यापार वृद्धि यन्त्र का नियम – व्यापार वृद्धि यन्त्र को विधिवत रूप से शुभ मुहूर्त में अपने ऑफिस या दुकान में वास्तु नियम अनुसार पूर्व अथवा उत्तर दिशा में स्थापित करना चाहिए और इस यंत्र के साथ धन की देवी लक्ष्मी की पूजा भी करनी चाहिए। धार्मिक मान्यता अनुसार इस यंत्र को शुक्ल पक्ष के रविवार को भोजपत्र पर बनाने का नियम है मगर भोजपत्र पर शुद्धता के साथ लिखना संभव नहीं होने के कारण वर्तमान समय में वैज्ञानिक विधि से इस यंत्र का निर्माण किया जाता है।
व्यापार वृद्धि यंत्र की पूजा – व्यापार वृद्धि यंत्र की नियमित पूजा का महत्व है और विधिवत पूजा के दौरान यंत्र पर इत्र आदि का छिड़काव कर धूप, पुष्प,फल आदि अर्पित करने चाहिए।यंत्र की पूजा के दौरान लक्ष्मी मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।इस तरह पूजा से रोजगार में तरक्की होती है और हानियां रूकती हैं।
नए व्यवसाय में उपयोग – जब कोई नए व्यापार का शुभारंभ करें तो व्यापार वृद्धि यंत्र की स्थापना जरूर करनी चाहिए जिससे व्यापार में स्थितियां अनुकूल बनने पर धन लाभ होता है।
इस यंत्र का नियमित पूजन और दर्शन करने से मनमुताबिक परिणाम मिलने लगते हैं।
चमत्कारी यंत्र – व्यापार वृद्धि यंत्र एक चमत्कारी यंत्र है और इसे धनदाता और सर्वसिद्धिदाता भी कहा जाता है। इस यंत्र की रचना तांबे, चांदी या सोने के पत्र या स्फटिक पर शुभ समय में की जानी चाहिए।
इस तरह व्यापार वृद्वि यंत्र की विधिवत स्थापना व पूजा से कारोबार में हमेशा अनुकूल परिणाम व धन लाभ हो सकता है।
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