हर व्यक्ति अपने आने वाले जीवन के लिए सही जीवनसाथी चुनना चाहता है । स्त्री और पुरुष दोनों में इस बात को लेकर दुविधा रहती है कि उसका होने वाला पार्टनर क्या उसके लिए उचित है ? ज्योतिष शास्त्र में जन्मपत्री के मिलान से विवाह तय किये जाते हैं । इससे स्त्री और पुरुष दोनों के जन्मकुंडलियों के अनुसार उनके विवाह हो सकते हैं या नहीं ? तय किये जाते हैं।
आप किसी व्यक्ति से शुरुआती मुलाकात में तय नहीं करे सकते कि उसका स्वभाव कैसा है और क्या जीवन भर के लिए आप एक-दूसरे के लिए सहीं हैं । इन्हीं सवालो के जवाब के लिए ज्योतिष शास्त्र में कुंडली मिलान किया जाता हैं। इसके अलावा सामुद्रिक शास्त्र भी व्यक्ति के स्वाभाव के बारे में बताता है।
क्या है कुंडली मिलान?
हमारे पुराने ऋषि-मुनियों ने ज्योतिष शास्त्र में शादी विवाह से सम्बंधित कुछ नियम बनाये जिनके आधार पर किन जातकों का आपस में विवाह हो सकता है, तय किया जा सकता है। हिन्दू संस्कृति में शादी केवल शारीरिक रूप ही नही बल्कि आत्मिक रूप से मिलन के रूप में माना जाता हैं । इसलिए जन्मपत्री मिलान और उसकी गणना के आधार पर ही विवाह तय किये जाते हैं। कुंडली मिलना के आधार रिश्ते की अंतरंगता जैसे आध्यात्मिक, शारीरिक और भावनात्मक अनुकूलता के बारे में जानकारी मिलती है। किसी भी वैवाहिक रिश्ते के लिए ये सभी बातें अति आवश्यक होती हैं इसलिए कुंडली मिलान जरूरी है।
विवाह के लिए कुंडली मिलान क्यों है जरूरी ?
हमारी प्रचलित परम्पराएँ वैज्ञानिक तथ्यों पर बनी हुई हैं। इसलिये इसे ज्योतिष विज्ञान कहा जाता है। हमारे जीवन पर पूर्वजन्म और जन्म के समय नक्षत्रों का गहरा प्रभाव होता है। इन ग्रह दशाओं के आधार पर हमारे स्वभाव , भाग्य और स्वास्थ्य आदि बातें जुड़ी होती हैं। इसलिए दोनों जातकों जिनका विवाह होने वाला है, क्या वो एक-दूसरे के लिए अच्छे जीवनसाथी होंगे? ये सब बातें तय की जाती हैं। किसी व्यक्ति को देखकर हम यह तय नही कर सकते कि आने वाले जीवन में वो जीवनसाथी के रूप में उपयुक्त होगा या नहीं। इसलिए कुंडली मिलान की व्यवस्था हमारे ज्योतिषाचार्यों और ऋषियों ने की है।
गुण मिलान
गुण मिलान कुंडली मिलान के लिए सबसे पहला आधार है। इसके लिए आठ तरह के अष्टकूट और गुणों का मिलान किया जाता हैं। शादी में गुण मिलान बेहद आवश्यक होता है। ये गुण है – वर्ण, वश्य, तारा, योनि, गृह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी । इन सब तरह के गुणों के मिलान की कुल गणना 36 होती हैं जिनमे से कुछ तय सीमा तक मिलान के बाद ही शादी करने की मान्यता मिलती है। कम से कम 36 में से 18 अंक मिलान होना अति आवश्यक है इससे कम मिलान होने पर शादी सफल होने की संभावना बिलकुल कम होती है और ऐसे रिश्तों को ज्योतिष शास्त्र भी मान्यता नहीं देता।
कितने गुण होते हैं मान्य विवाह के लिए मानक ?
18 या इससे कम गुण : ज्योतिष की गणना के अनुसार 18 या इससे कम गुण मिलने पर ज्यादातर विवाह के असफल होने की संभावना होती है अधिक होती हैं इसलिए इस तरह के मामलों में विवाह नहीं किया जाता।
18-24 गुण मिलने पर : जनमपत्रियों के मिलन में यदि गुण 18-24 के बीच में मिल रहें हों तो विवाह किया जा सकता है लेकिन इसमें वैवाहिक जीवन में समस्याएँ आने की सम्भावना होती है । हालाँकि विवाह किया जा सकता है
24-32 गुण मिलने पर : अगर गुण मिलान में 24-32 गुण मिल रहे हों तो ऐसा वैवाहिक रिश्ता सफल होगा। ऐसे जातकों को जरूर विवाह करना चाहिए।
32 से 36 गुण मिलने पर : ज्योतिष के अनुसार इस तरह के विवाह बहुत ही शुभ माने जाते हैं। इनमें आपस में सामंजस्य बेजोड़ होता है ।वैवाहिक जीवन में ज्यादा समस्याएं उत्पन्न नहीं होती ।
कुंडली मिलान कैसे करें ?
शादी के लिए कुंडली मिलान के लिए किसी अच्छे विशेषज्ञ ज्योतिष से ही कुंडली मिलान करवाएं। इसके लिए आपके पास नाम, जन्मस्थान, जन्मतिथि और जन्मसमय होना जरुरी हैं। कुंडली के उचित अध्ययन और गुण मिलान के बाद ही ये तय किया जाये कि जातकों की शादी करवाई जाए या नहीं । हिन्दू धर्म में विवाह जीवन भर का रिश्ता है इसलिए विवाह सोच समझ कर ही किया जाना चाहिए जो की विशेषज्ञ ज्योतिषी से सलाह के बाद ही हो
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