शरीर पंच महाभूतों से मिलकर बना हुआ है। जिसमें पृथ्वी, जल, आकाश, वायु एवं अग्नि समाहित है। इन पंच तत्वों का संतुलन ही जीवन का सार है। शरीर आत्मा का निमित्त है जिसका आधार लेकर हम संसार के अपने सभी कार्य पूरे करते हैं। इसलिए शरीर और मन के स्वास्थ्य का ध्यान रखना हमारा कर्तव्य है। इन पांच तत्वों के संतुलन के लिए हमें सदैव प्रयासरत रहना चाहिए।
ऐसे ही कुछ विधानों में है उपवास और व्रत का विधान जो विशेष रूप से शरीर और मानसिक शुद्धि के लिए ही किये जाते हैं। व्रत और उपवास करने का तात्पर्य मन के विचारों का नियंत्रण एवं भोजन में संयम के साथ शरीर की शुद्धि है। जिससे हमारे मन और तन को मजबूती मिलती है।
उपवास एवं व्रत :
उपवास का शाब्दिक अर्थ ‘उप+वास’ अर्थात समीप बैठना जो कि परमात्म सम्बन्ध जोड़कर व्रत द्वारा मन एवं शरीर की शुद्धि करना है। व्रत और उपवास इसी शुद्धि प्रक्रिया के अंग है जिसमें व्रत में एक समय भोजन किया जाता है एवं उपवास में केवल फलाहार किया जाता है।
कार्यसिद्धि, मनोरथ या किसी देवी-देवता विशेष की पूजा के लिए भी साप्ताहिक व्रत उपवास किये जाते हैं। व्रत और उपवास के दौरान किया गया सात्विक भोजन हमारे सात्विक ऊर्जा को जगाकर एक हमें सदमार्ग पर ले जाता है। जैसा भोजन हम करते हैं उसका प्रभाव हमारे तन और मन दोनों पर पड़ता है।
सप्ताह के विभिन्न वारों के अनुसार फलदायक व्रत-उपवास:
रविवार का व्रत –
रविवार भगवान सूर्य का दिवस माना जाता है। सूर्य सम्पूर्ण प्रकृति का पोषण करते हैं। इसी दिन देवी माँ दुर्गा की भी आराधना की जाती है।
किसको करना चाहिए रविवार का व्रत –
जिन लोगों को त्वचा से संबंधित कोई समस्या हो उनको रविवार का व्रत एवं सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए। इस दिन लाल वर्ण के वस्त्र पहनें एवं पूजा के दौरान लाल चंदन का टीका लगाकर सूर्य देव को रक्त वर्ण के पुष्प अर्पण करना चाहिए। मां दुर्गा की पूजा के साथ मंत्र ‘ॐ श्री दुर्गाय नमः’ का जाप भी करना चाहिए और सूर्य पूजा के लिए मन्त्र ‘ॐ सूर्याय नम:’ का जाप करना चाहिए।
सोमवार का व्रत –
सोमवार भगवान शंकर की पूजा विशेष रूप से अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए की जाती है। इस दिन पूजन के लिए सफेद वस्त्र धारण करें और शिवलिंग पर सफेद फूल चढ़ाएं । सोमवार के दिन अमावस या पूर्णिमा होने पर इसे अधिक शुभ माना जाता है। जिसे सोमवती अमावस के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ आप इस दिन पार्वती मंगल का भी पाठ कर सकते हैं।
मंगलवार का व्रत –
मंगलवार और शनिवार दोनों दिन हनुमान जी के दिन माने जाते हैं। इस दिन ‘ॐ श्री हनुमते नमः’ मन्त्र का जाप करने से लाभ होता है। मंगल ग्रह की अशुभ दृष्टि, शनि के प्रकोप आदि सभी ग्रहों के दोष निवारण के लिए मंगलवार को विशेष ज्योतिषीय उपाय किये जाते हैं। इस दिन लाल वस्त्र पहनना शुभ होता है। विवाहित लोग पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए मंगलवार का उपवास कर सकते हैं।
बुधवार का व्रत-
बुधवार का दिन बुद्धि दायक भगवान गणेश की विशेष पूजा और उपवास करने का माना गया है। इनके पूजन से हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। बुधवार को हरे कपड़े पहनकर और मूंग दाल का दान करें आपके सभी कार्य सिद्ध होंगे। रिश्तों में चल रही खींचतान को मधुर बनाने के हित से बुध ग्रह के उपाय इसी दिन किये जाते थे।
गुरुवार का व्रत –
गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन ‘ॐ नमो नारायणा’ मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन का शुभ रंग पीला है। भोजन में घी एवं चने की दाल या फिर पीले रंग के किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन किया जाना चाहिए।
शुक्रवार का व्रत –
शुक्रवार का व्रत लक्ष्मी प्राप्ति और आर्थिक परेशानियों को दूर करने के लिए माना जाता है। देवी की अराधना के रूप में लगातार 16 शुक्रवार के दिन व्रत उपाय के रूप में किए जाते हैं । बाधाओं से मुक्ति, संतान उपाय आदि के लिए ज्योतिषीय सलाह पर इस दिन उपाय किये जा सकते हैं। इस दिन लोग सफेद रंग के वस्त्र पहनते हैं।
शनिवार का व्रत –
शनि के अशुभ प्रभाव से दूर होने के लिए ये व्रत किया जाता है। इस दिन शनि देव और हनुमान जी की विशेष आराधना की जाती है। इस दिन ‘ॐ हनुमते नमः’ और ‘ॐ शनिदेवाय नमः’ का जाप किया जाना चाहिए । ज्योतिष सलाह के आधार पर उपाय भी किये जाने चाहिए। इससे शनि के प्रकोप से दूर रहा जा सकता है एवं शनि शुभ जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।
हमारे धार्मिक शास्त्रों में व्रत उपवास के विधान हमारी मानसिक एवं शारीरिक शुद्धि के लिए बनाये गए हैं। इन साप्ताहिक व्रतों के अलावा एकादशी, पूर्णिमा, नवरात्र जैसे व्रत उपवासों के कई प्रकार हैं जो मनोरथ के अनुसार किये जाते हैं।