भगवान शिव की आराधना का विशेष महीना है श्रावण मास। बारिश का मौसम शुरू होते ही शुरुआत हो जाती है तीज त्यौहारों की। भारत अपनी विविध संस्कृति एवं धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है। भगवान शिव इस सृष्टि के आदि देव माने जाते हैं। सावन मास भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है। आइये इस बार सावन में क्या है ख़ास
300 वर्ष बाद बन रहा है सावन का ऐसा दुर्लभ संयोग –
इतने वर्षों बाद ऐसा पहली बार हो रहा है जब सोमवार के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में शुरू हो रहे श्रावण का समापन भी तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर सोमवार के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र की साक्षी में ही होगा।
इस सावन मास 2020 में ये है विशेष योग-
एक महीने में पांच सोमवार, दो शनि प्रदोष और मास में ग्रह, नक्षत्र व तिथियों का इतना अनोखा संयोग पिछले 300 सालों में नहीं बना है।
● उत्तराषाढ नक्षत्र कार्यो की सिद्घि के लिए श्रेष्ठ नक्षत्र माना जाता है।
● सावन के दूसरे सोमवार को रेवती नक्षत्र, सुकर्मा योग, कोलव करण का योग रहेगा। इस दौरान किये जाने वाले पूजा अनुष्ठान इत्यादि विशेष रूप से मनवांछित फलदायक होते हैं।
● हरियाली अमावस्या सोमवार (20 जुलाई) को पुनर्वसु नक्षत्र के बाद रात्रि में 9।22 बजे से पुष्य नक्षत्र रहेगा।
● सोमवार के दिन पुष्य नक्षत्र का योग सोम पुष्य कहलाता है। इसी रात को सर्वार्थ सिद्धि योग मध्य रात्रि साधना के लिए विशेष है।
● सावन मास में चौथे सोमवार पर सप्तमी उपरांत अष्टमी तिथि रहेगी। साथ ही चित्रा नक्षत्र व साध्य योग होने से यह सोमवार भी सिद्घिदायक व संकटों से मुक्ति उत्तम माना गया है।
श्रावण पूजा एवं रक्षाबंधन के लिए विशेष श्रवण नक्षत्र रहेगा पूरे दिन भर –
रक्षा बंधन अगर श्रवण नक्षत्र में हो तो विशेष शुभ मानी जाती है। पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन पर दिन भर श्रवण नक्षत्र श्रावणी पूर्णिमा सुबह उत्ताराषाढ़ा के बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा। कलाई पर रक्षा बंधन इसी नक्षत्र में किया जाना शुभ होता है। इस मुहूर्त से दीर्घायु एवं समृद्धि कारक योग बनते हैं।श्रावण मास में की जाने वाली शिव पूजा महाफलदाई मानी जाती है। इसलिए जिन लोगों को किसी भी प्रकार की बाधा का सामना करना पड़ रहा है उनको ज्योतिष परामर्श के साथ भगवान शिव की विशेष आरधना एवं उपाय करने चाहिए। शिव कृपा से बड़े से बड़े संकट भी दूर हो जाते हैं।