हिन्दू धर्म में वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया या आखा तीज मनाई जाती है।
पौराणिक महत्व है कि अगर इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाए तो उसका जीवन में हमेशा अक्षय फल मिलता है अर्थात् उसका क्षय या नाश नहीं होता है। इसी वजह से इसे अक्षय तृतीया या आखा तीज कहा जाता है।
इस दिन की तिथि को वर्ष में सर्वश्रेष्ठ व स्वयंसिद्व मुहूर्तों में माना जाता है और इस दिन के कार्यों का अलग महत्व होता है।अक्षय तृतीया के दिन सूर्य व चंद्रमा ग्रह अपनी उच्च राशि में होते हैं और इसलिए अबूझ व विशेष मुहूर्त होने के कारण शुभ मांगलिक व नए कार्य शुरू किए जाते हैं।
अक्षय तृतीया मुहूर्त 2020
दिन व वार | 26 अप्रैल 2020,रविवार |
पूजा मुहूर्त | 05:53 एम से 12:25 पीएम |
पूजा मुहूर्त अवधि | अवधि :6 घंटा 32 मिनट |
अक्षय तृतीया मनाने के यह हैं पौराणिक कारण –
- पौराणिक मान्यता अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के छठें अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम का जन्म हुआ था और इसी वजह से इस दिन परशुराम भगवान की पूजा अर्चना भी की जाती है।
- इस दिन स्वर्ग से मां गंगा धरती पर अवतिरत हुई थी और अक्षय तृतीया को गंगा नदी में डूबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट होने का भी महत्व बताया गया है।
- यह भी मान्यता है कि इस दिन महर्षि वेदव्यास व भगवान गणेश जी ने महाभारत लिखना शुरू किया था।
- इस दिन मां अन्नपूर्णा का भी जन्म दिन मनाया जाता है और विश्वास होता है कि पूजन से रसोई में भोजन का स्वाद बढ जाता है।
यह है अक्षय तृतीया का विशेष महत्व –
- हिन्दू धर्म में मान्यता अनुसार अक्षय तृतीया का दिन वर्ष के उन साढ़े तीन मुहूर्त में से एक है जो सबसे शुभ होते हैं। इसलिए इस दिन कई शुभ कार्य प्रारंभ किए जाते हैं।
- इस खास अवसर पर गंगा में स्नान करने का भी विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है जिससे इंसान के सारे पाप कट जाते हैं।
- अक्षय तृतीया पर पितृ श्राद्ध करने का महत्व है इसलिए ज्यादातर लोग किसी तीर्थ स्थान पर जाकर अपने पितरों के नाम से श्राद्ध व तर्पण करते हैं।
- अक्षय तृतीया पर सोना ख़रीदना भी बहुत शुभ माना गया है।
अक्षय तृतीया व्रत व पूजन की विधि – इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि के बाद शुद्वता से अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु जी की प्रतिमा,तस्वीर को विधिपूर्वक गंगाजल से स्नान कराने के बाद पूजा करनी चाहिए और प्रसाद चढा कर तुलसी, पीले फूल चढाने चाहिए और बाद में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व आरती की जा सकती है और इस दिन व्रत भी रखा जा सकता है।
सुख—समृद्धि में होती है बढोतरी – अक्षय तृतीया के दिन दान पुण्य व किसी गरीब को घर बुलाकर भोजन कराने का धार्मिक महत्व बताया गया है जिससे सुख—समृद्धि में बढोतरी होती है।
- इस दिन के मुहूर्त को वर्ष के सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में देखा जाता है और मान्यता होती है कि इस दिन अगर कोई कार्य बिना पंचांग आदि देख किया जावे तो वह भविष्य में शुभ परिणाम देने वाला ही होता है।
- इसे विशेष शुभ दिन मान कर विवाह, गृह-प्रवेश, नई चीजों की खरीददारी आदि कार्य संपन्न किए जाते हैं।
- इस तिथि को वसंत ऋतु का समापन और ग्रीष्म ऋतु का शुभारंभ होना माना जाता है और सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से होना माना गया है। इस अवसर पर छोटे बच्चे अपने रीति-रिवाज,परंपरा के अनुसार गुड्डा-गुड़िया का विवाह भी करते हैं।
- इस दिन किए गए शुभ कार्य हमेशा सकारात्मक फल को देने वाले माने गए हैं और ये शुभ फल कभी खत्म नहीं होते हैं।