हर कार्य को शुरू करने के लिए मुहूर्त, ग्रहों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। ग्रहों की गति के अनुसार विभिन्न ग्रहों व नक्षत्रों के नए-नए योग आए दिन बनते-बिगड़ते रहते हैं। अच्छे योगों की गणना कर उनका उचित समय पर अपने जीवन में इस्तेमाल करना ही शुभ मुहूर्त पर कार्य संपन्न करना कहलाता है। अशुभ योगों में किया गया कार्य पूर्णतः सिद्ध नहीं होता। विवाह को मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है और इसके लिए सही मुहूर्त का होना अति आवश्यक है। विवाह में वि का मतलब है हम, वा का मतलब है योग्य पात्र, और ह का मतलब है जुड़ना। इंसान के जन्म से लेकर शादी जैसे अहम बंधन में मुहूर्त की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। तो आईअ जानते हैं विवाह की शुभ तिथियों के बारे में और क्या है इसके गणना की प्रक्रिया।
विवाह की शुभ तिथियां 2018
फरवरी |
24 |
मार्च |
1,5,6,8,10,12 |
अप्रैल |
18,19,20,24,25,27,28,29,30 |
मई |
1,4,5,6,11,12 |
जून |
18,21,23,25,27,28 |
जुलाई |
5,10,11 |
जानिए विवाह की शुभ तिथियां 2020 में
शुभ मुहूर्त निकालने की प्रक्रिया- विवाह का शुभ मुहूर्त निकालने के लिए वर-वधू की जन्म राशि का प्रयोग किया जाता है।
- वर या वधू का जिस चंद्र नक्षत्र में जन्म होता है, उस नक्षत्र के चरण में आने वाले अक्षर की सहायता भी विवाह का शुभ मुहूर्त निकालने के लिए ली जाती है।
- विवाह का शुभ मुहूर्त सदैव वर-वधू की कुण्डली में गुणों का मिलान करने के बाद ही तय किया जाता है।
- विवाह का शुभ मुहूर्त निकालने के लिए वर तथा वधू की राशियों से विवाह के शुभ मुहूर्त के लिए एक समान तिथि का चयन ही विवाह के शुभ मुहूर्त के लिए किया जाता है।
- लड़की की कुंडली का बृहस्पति कैसा है यह जरूर ध्यान दें क्योंकि लड़की की बृहस्पति से ही लड़के के जीवन की प्रगति होती है।
- लड़के की कुंडली में शुक्र की दशा जरूर देखें। लड़के की कुंडली में शुक्र अच्छा हो तो अच्छी पत्नी मिलेगी, वैवाहिक जीवन सुंदर होगा व संतान होने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
- विवाह का मुहूर्त निकालते वक्त गुणों के साथ ही इन सभी चीजों का भी ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। इन सभी बातों का ध्यान रखकर कुंडली मिलान करने के पश्चात् शुभ मुहूर्त निकलवाएं और विवाह करें तो निश्चित रूप से वैवाहिक जीवन सुखद होगा और विवाह के मामले में सफलता मिलेगी।