बैसाखी त्यौहार ( रविवार, 14 अप्रैल 2019) मुख्य रूप से पंजाब व हरियाणा के साथ उत्तरी भारत में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में बैसाखी को सामाजिक, सांस्कृतिक समरसता का पर्व माना है। बैसाखी का धार्मिक और ज्योतिषीय अनुसार महत्व भी है। जानिये बैसाखी को किस तरह और क्यों मनाया जाता है।
बैसाखी का ज्योतिष में महत्व — बैसाखी का ज्योतिषशास्त्र में विशेष महत्व है। ज्योतिष अनुसार इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है इसलिए बैसाखी पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व माना है।
सौर नववर्ष का आरंभ भी इसी दिन से माना है।सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने की वजह से इसे मेष सक्रांति भी कहा जाता है।
धार्मिक महत्व — बैसाखी प्रत्येक वर्ष हिन्दू कैलेंडर विक्रम संवत के प्रथम माह में आती है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार हजारों साल पहले देवी गंगा इसी दिन पृथ्वी पर उतरी थीं इसलिए पवित्र स्नान के लिए लोग गंगा किनारे जाकर पूजा और स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन गंगा स्नान,पूजा, गंगा चालीसा का पाठ आदि धार्मिक कार्य करने का बहुत महत्व है।
किसानों के लिए विशेष खुशी का पर्व — बैसाखी को खेती का पर्व भी कहा जाता है। बैसाखी पर खेतों में फसलें लहलहाती हुई दिखाई देती है इसलिए किसान इस दिन अपनी फसल में से कुछ हिस्सा भगवान को चढ़ाते हैं और साथ में कुछ हिस्सा गरीबों को भी दान करते हैं।किसान अच्छी फसल के लिए परमात्मा को धन्यवाद देते हैं।
- बैसाखी पर्व को सिख समुदाय द्वारा नए साल के रूप में मनाया जाता है और तड़के सुबह गुरूद्वारे में जाकर प्रार्थना करते हैं।
- मान्यता अनुसार सिखों के गुरु गोबिंद सिंह ने धर्म की रक्षा के लिये बैसाखी के दिन ही 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी।
- इस मौके पर ढोल-नगाड़ों की थाप पर लोग त्यौहार का स्वागत करते हैं और गीत गाकर खुशी मनाते हैं और बधाईयां भी देते हैं।घर—परिवार में खुशहाली व सुख—समृद्वि की कामना करते हुए बधाईयां भी देते हैं और मिठाई व नए पकवान बनाकर वितरित करते हैं।