कई लोगों को तांबे के बर्तन में रखा पानी पीते देखा जाता है। दरअसल तांबे के बर्तनों में रखा पानी पीते रहने से सेहत को लाभ मिलने के साथ ही कुंडली के कुछ विशेष ग्रहों की भी मजबूती होती है। तांबे के बर्तन में रखा पानी आपके स्वास्थ्य के साथ ही भाग्य को भी बदल सकता है।
हिन्दू धर्म में पूजा पाठ के कार्यों में तांबे की धातु को इस्तेमाल किया जाता है क्यों कि तांबा बेहद शुद्ध,पवित्र होता है। पूजा पाठ कार्य के दौरान तांबे का पात्र उपयोग में लिए जाने से देवी—देवता प्रसन्न भी होते हैं।
शरीर के लिए इसलिए है लाभकारी – तांबा के बर्तन का पानी शरीर में कॉपर की कमी को पूरा करता है और रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।
- तांबे के बर्तन का पानी पूरी तरह से शुद्ध होता है और इसे पीने पर शरीर में पीलिया, पेट दर्द,गैस संबंधित आदि प्रमुख रोगों से पूरी तरह बचाव होता है।
- यह पानी शरीर की अंदर से सफाई के रूप में काम करता है और लिवर और हृदय प्रमुख अंगों को भी स्वस्थ व सुरक्षित बनाए रखता है।
ज्योतिष में तांबे का महत्व – ज्योतिषशास्त्र अनुसार तांबे का बर्तन मंगल व सूर्य ग्रह से संबंधित है इसलिए इस धातु के बर्तनों में पानी पीने से कुंडली के सूर्य, मंगल ग्रह मजबूत होते हैं और ग्रहों का शुभ प्रभाव जीवन में मिलना शुरू हो जाता है और आत्मविश्वास,मनोबल भी बढता है। मंदिरों में भी तांबे के पात्र में रखा चरणामृत ग्रहण करने से मानसिक शांति मिलती है और शरीर का रोगों से बचाव होता है।
इस चीज की रखें विशेष सावधानी – तांबे के पात्र में रखे जाने वाले पानी को जमीन पर नहीं रखना चाहिए और इसे किसी लकडी की टेबिल या आलमारी में ही रखना चाहिए।
- जमीन पर तांबे का पात्र रखने से गुरूत्वाकर्षण के कारण पानी में तांबे के गुणों का लाभ नहीं मिल पाता है।
- तांबे के पात्र में रखा हुआ पानी कम से कम 8 घंटे तक रखा हुआ होना चाहिए तभी पानी के सकारात्मक गुण स्वास्थ्य को बेहद लाभ पहुंचा पाएंगे।