हिन्दू धर्म में देवी—देवताओं की प्रसन्नता के लिए विभिन्न अवसरों पर व्रत—उपवास रखे जाते हैं। उपवास रखने के विशेष नियम होते हैं जिनका पालन कर स्वस्थता व खुशहाली प्राप्त हो सकती है।
उपवास का अर्थ – उपवास में उप का अर्थ नजदीक और वास का मतलब रहना होता है यानि अपने ईश्वर या इष्टदेव के पास बैठना, निकटता पाना ही उपवास कहलाता है।
उपवास का नियम – किसी त्यौहार व वार पर उपवास करने के अलग—अलग नियम होते हैं। उपवास के दिन सुबह जल्दी स्नान के पश्चात शुद्व तन व मन से मंदिर में बैठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। जो व्रत किया जा रहा है उसकी पूरी जानकारी मालुम होनी चाहिए और श्रद्वा से पूजा पाठ के पश्चात दिन में फल या ज्यूस का सेवन कर सकते हैं और बाद में विधिवत रूप से व्रत खोला जा सकता है।
सेहत को विशेष लाभ – उपवास रखने वाले व्यक्ति के शरीर को कई तरह से फायदे मिलते हैं।
- चिकित्सा विज्ञान के अनुसार महीने में कम से कम 3 बार उपवास रखने से पाचन क्रिया मजबूत रहती है और पाचन में भूमिका निभाने वाले अंग ठीक रहते हैं।
- उपवास रखने से शरीर में सक्रियता रहती है और मन—मस्तिष्क भी शांत रहता है जिससे इच्छा शक्ति मजबूत बनती है।
- मोटापा शरीर के लिए घातक होता है। उपवास रखने से शरीर में वजन कम होता है और खाने—पीने की आदत पर नियंत्रण बनने से मोटापा नहीं आता है।
- उपवास से इंसान के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है जिससे शरीर बीमारियों से बेहतर तरीके से लडने में सक्षम हो जाता है।
- उपवास मस्तिष्क की मजबूती के लिए फायदेमंद है एवं सकारात्मक सोच का विकास व याददाश्त में तेजी आती है।
उपवास की अवधि – उपवास कई प्रकार के होते हैं। यह एक दिन से लेकर महीनों तक के भी होते हैं।
धार्मिक महत्व – हिन्दू धर्म में नवरात्रि,जयंतियों व अन्य प्रमुख त्यौहारों व विशेष वार के मौके पर व्रत,उपवास रखे जाते हैं। इस दौरान उपवास रखने पर संबंधित देवी—देवता प्रसन्न होते हैं और इंसान के अंदर आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है।
सावधानियां – उपवास रखने के दौरान कुछ सावधानियां भी रखनी चाहिए। निर्जला व्रत को छोड कर किसी भी उपवास के दिन पानी व फल,ज्यूस ग्रहण किए जा सकते हैं जिससे शरीर में कमजोरी नहीं आती है। इस दौरान झूठ,चुगली,शारीरिक संबंध बनाने से दूर रहना चाहिए तभी व्रत,उपवास का फल मिल पाता है।
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