रूद्राक्ष को भगवान शिव का अंश माना जाता है।हिन्दू धर्म में रूद्राक्ष धारण करने का बहुत महत्व है। रूद्राक्ष धारण करने से जीवन में चल रही परेशानियों के समाधान होने लगते हैं और कार्यों में सफलता मिलती है। वैवाहिक जीवन से संबंधित समस्याओं को दूर करने और सुखों की प्राप्ति के लिए गौरी शंकर रूद्राक्ष धारण करना चाहिए। जानें,गौरी शंकर रूद्राक्ष धारण करने का क्या है नियम और महत्व-
गौरी शंकर रूद्राक्ष का अर्थ – प्राकृतिक रूप से जुड़े हुए दो रूद्राक्षों को गौरी शंकर रूद्राक्ष कहा जाता है।इन दोनों रूद्राक्षों को भगवान शिव एवं माता पार्वती का प्रत्यक्ष स्वरूप माना है और इन्हें धारण करने पर भगवान शिव और देवी पार्वती दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
गृहस्थ जीवन में महत्व – ज्यादातर लोगों के वैवाहिक जीवन में कोई ना कोई परेशानी रहती है जिससे हमेशा मानसिक अशांति बनी रहती है और गृहस्थ सुखों में कमी आती है।ऐसी स्थिति में गौरी शंकर रूद्राक्ष धारण करना चाहिए जिससे परेशानियो का अंत होता है और सुख—शांति व समृद्धि आती है।
ऐसे युवक व युवती जिनके विवाह में ज्यादा विलंब हो रहा हो उन्हें भी शीघ्र विवाह योग के लिए गौरी शंकर रूद्राक्ष पहनना चाहिए।जिन स्त्रियों को गर्भ ठहरने की समस्या है उन्हें गौरी शंकर रूद्राक्ष धारण करना चाहिए जिससे परेशानी का समाधान होता है।
गौरी शंकर रूद्राक्ष धारण करने का नियम – गौरी शंकर रूद्राक्ष को शुभ मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए तभी विशेष लाभ मिलते हैं। इस रूद्राक्ष को शुक्ल पक्ष में सोमवार, मास शिवरात्रि, श्रावण,प्रदोष के दिन विधिवत अभिमंत्रित करने के बाद चांदी की चेन या लाल धागे में डालकर गले में धारण करें। धारण के बाद प्रतिदिन ऊं नम: शिवाय या ऊं नम: दुर्गाए अथवा ऊं अर्धनारीश्वराय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
इन सावधानियों का रखें ध्यान – गौरी शंकर रूद्राक्ष पहनने के बाद शुद्वता,पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और गलत कार्यों से दूरी बनाए रखें अन्यथा सकारात्मक परिणाम नहीं मिल पाएंगे।
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