हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में कुल 12 मास होते हैं, यह तो सभी को ज्ञात है लेकिन इनमें से एक मास ऐसा है जिसके बारे में काफी कम ही लोगों को पता होगा। इस एक माह को तीन विशिष्ट नामों अधिकमास, मलमास या पुरूषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। ज्ञ्योतिष गणना के अनुसार सूर्य प्रत्येक राशि में लगभग एक माह तक रहता है। सूर्य जब भी गुरु की राशियों धनु और मीन में आता है तो इसे मलमास कहा जाता है। इस वर्ष यानि 2018 में मलमास 14 मार्च से प्रारंभ हो चुका है जो कि 14 अप्रैल को समाप्त होगा. अधिक मास क्यों बनता है, क्या है इसके रहस्य दौरान व इस दौरान क्या कार्य करने निषेध होंगे और क्या कार्य आप सभी कर सकते हैं आईए जानते हैं।
मलमास प्रारंभ व समाप्ति तिथि
प्रारंभ तिथि |
14 मार्च, बुधवार (सूर्य चैत्र कृष्ण द्वादशी) रात्रि 11:42 |
समाप्ती तिथि |
14 अप्रैल (वैशाख कृष्ण त्रयोदशी) शनिवार प्रातः 8:12 पर समाप्त |
क्या होता है मलमास या अधिकमास
भारतीय गणना पद्दति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और 6 घंटे तथा चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्षों में लगभग बराबर हो जाता है। इसी अंतर को बांटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है। अतिरिक्त होने की वजह से इसे अधिकमास का नाम दिया गया।
इस दौरान क्या ना करेंगृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार, सगाई, विवाह, मुंडन आदि समेत कोई भी शुभ कार्य इस एक मास के दौरान करना वर्जित रहता है। इसके अलावा नया व्यवसाय या नया कार्य आरंभ करना भी शुभ नहीं होता है। नया वस्त्र पहनना भी इस दौरान वर्जित माना जाता है।
इस दौरान क्या करेंपुरुषोत्तम मास या मलमास में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अराधना और स्तुति करनी चाहिए। इस महीने में जप, तप और किया गया दान कई गुणा पुण्य दिलाता है। भगवत गीता का पाठ व श्री राम जी की अराधना करना भी शुभ फलदायी होता है।
तो आपने जाना कैसे मलमास में हमें पूजा-अर्चना करनी चाहिए। क्या काम वर्जित है और कैसे प्रभु श्री हरि विष्णु की स्तुति कर मन-वांछित फल पा सकते हैं।