हिन्दू धर्म में शारदीय नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक देवी शक्ति के नौ विभिन्न रूपों की विशेष पूजा अराधना की जाती है।इस वर्ष 2019 में शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक है। नवरात्रि में पहले दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना का महत्व है और विधिवत पूजा अर्चना से शुभ परिणाम मिलते हैं। जानिये इस बारे में —
नवरात्रि प्रारंभ | 29 सितम्बर 2019,रविवार |
घट स्थापना मुहूर्त | 6:16 से 7:40 अभिजीत मुहूर्त 11:47 से 12:35 |
महाअष्टमी | 6 अक्टूबर 2019 रविवार |
महानवमी | 7 अक्टूबर 2019 सोमवार |
घटस्थापना का महत्व
नवरात्रि में घट स्थापना का विशेष धार्मिक महत्व है और नवरात्रि की शुरूआत शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना से होती है। प्रतिपदा तिथि पर पहले एक तिहाई हिस्से में घटस्थापना कर लेनी चाहिए।
धर्म शास्त्रों के अनुसार कलश मंगलकारी होता है और इसके मुख में भगवान विष्णु, गले में रुद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास होता है। घट स्थापना से विपरीत तरंगें नष्ट होती हैं और परिवार में सुख-शांति तथा समृद्धि आती है।
पूजा सामग्री
घटस्थापना के समय माँ दुर्गा की सुन्दर प्रतिमा, जौ बोने के लिए शुद्ध मिट्टी काम में लेनी चाहिए। जौ बोने का मिट्टी का पात्र वेदी कहलाता है। घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश या सोने, चांदी या तांबे का कलश भी उपयोग में लिया जा सकता है।
इस दौरान कलश में भरने के लिए शुद्ध जल,गंगाजल,रोली,साबुत चावल,मौली, इत्र व साबुत सुपारी, दूर्वा, सिक्के, पंचरत्न,अशोक,आम के पत्ते, कलश ढंकने का ढक्कन,नारियल, लाल कपड़ा, फूल मालाएं, फल,मिष्ठान व दीपक,धूप आदि पूजा सामग्री ले लेनी चाहिए।
घट स्थापना विधि
सर्वप्रथम एक पात्र में जौ उगाने के लिए शुद्व मिट्टी बिछा दें और फिर जौ डाल कर इस पर शुद्व जल का छिड़काव करें। इसके बाद कलश लेकर इस पर स्वस्तिक बनाना चाहिए और कलश के गले में मौली बांध कर अब इसे गंगा जल और शुद्ध जल से पूरा भर देना चाहिए और कलश में साबुत सुपारी, फूल व दूर्वा आदि पूजन सामग्री डालनी चाहिए।कलश पर पत्ते इस प्रकार रखें कि कुछ पत्ते बाहर की तरफ दिखाई दें और पत्ते लगाकर ढ़क्कन लगा देना चाहिए और इस ढ़क्कन में अक्षत रख दें। इसके बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर इस मौली बांधकर इसे कलश पर रखें और नारियल का मुँह अपनी तरफ रखें।इसके बाद कलश को जौ के पात्र के बीच में रख कर देवी देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करनी चाहिए और कलश की विधिवत पूजा करनी चाहिए।
चौकी स्थापना
देवी मां की चौकी की विधिवत स्थापना करनी चाहिए। इसके लिए लकडी की एक चौकी को गंगाजल व शुद्ध जल से धोकर पवित्र कर लें और स्वच्छ कपडे से पोंछ कर चौकी पर लाल कपड़ा बिछा देना चाहिए और इसे कलश के दांयी तरफ रख दें। अब चौकी पर माँ दुर्गा की मूर्ति या सुंदर,साफ फोटो रख कर विधिवत पूजा प्रारंभ करें और माँ को चुनरी ओढ़ाएँ। माता की अखंड ज्योत जला कर फूल माला, इत्र अर्पित कर फल व मिठाई आदि का प्रसाद चढाना चाहिए और दुर्गाचालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ कर देवी माँ की आरती करनी चाहिए।
नवरात्रि के सभी दिन तक चौकी स्थापित रहनी चाहिए और प्रतिदिन देवी माँ का पूजन व जौ के पात्र में जल का हल्का छिड़काव अवश्य करना चाहिए जिससे जौ अंकुरित हो क्यों कि ये अंकुरित जौ शुभ माने गए हैं।
नवरात्रि समाप्ति पर महानवमी के दिन माँ का विधिवत पूजन कर पुन: पधारने का आव्हान किया जाता है और कलश के जल का छिड़काव पूरे घर और सदस्यों पर करना चाहिए। बाद में अंकुरित जौ में से कुछ को घर के मंदिर और तिजोरी,पर्स आदि जगहों पर रख दिया जाता है व शेष को बहते शुद्व पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए।