भगवान शिव के प्रिय मास श्रावण का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। पवित्र श्रावण मास की महिमा के बारे में धर्म ग्रंथों में भी वर्णन किया हुआ है। श्रावण का धार्मिक,ज्योतिषीय व वैज्ञानिक महत्व भी है। देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए श्रावण में कुछ खास उपाय व विधिपूर्वक पूजा करने का नियम है। जानिये,सावन मास का क्यों है आखिर इतना खास महत्व और पूजा करने की क्या है विधि-
श्रावण माह 2019 – प्रमुख तिथि व सोमवार व्रत
श्रावण मास पहला दिन | बुधवार | 17 जुलाई,2019 |
पहला सोमवार व्रत | सोमवार | 22 जुलाई,2019 |
दूसरा सोमवार व्रत | सोमवार | 29 जुलाई,2019 |
तीसरा सोमवार व्रत | सोमवार | 05 अगस्त,2019 |
चौथा सोमवार व्रत | सोमवार | 12 अगस्त,2019 |
श्रावणमास अंतिम दिन | गुरुवार | 15 अगस्त,2019 |
इसलिए है श्रावण का धार्मिक महत्व – वर्ष के सावन मास को भगवान शिव के लिए समर्पित माना है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सावन का महीना महादेव को सबसे प्रिय होता है। इस माह में भगवान शिव की पूजा व व्रत का बहुत महत्व है जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन में देश—विदेश के श्रद्धालु भारत के 12 ज्योर्तिलिंग के दर्शन के लिए जाते हैं।
सावन का प्रकृति से संबंध – सावन माह प्रकृति से भी संबंधित है। इस महीने के दौरान वर्षा ऋतु का समय होने से प्रकृति में हरियाली छाई रहती है और गर्मी से राहत मिलने के बाद मानव सहित पशु—पक्षी सभी इस मौसम से प्रसन्न रहते हैं। श्रावण माह में मनाए जाने वाले त्यौहार भी प्रकृति से जुडे रहते हैं।
विशेष पूजा विधि – श्रावण महीने में भगवान महादेव की प्रसन्नता के लिए पूजा का विशेष विधि विधान है। प्रतिदिन जल्दी सुबह स्नान कर शुद्व होना चाहिए।घर के पास किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर शुद्व जल,गंगाजल व दूध अर्पित करें और चंदन लगाकर पुष्प,बिल्व पत्र चढाएं। इस दौरान व्रत का संकल्प भी लिया जा सकता है। विधिपूर्वक पूजा व प्रसाद चढाने के बाद ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप और सावन व्रत कथा का पाठ भी कर सकते हैं।
सावन के व्रत – पवित्र सावन महीने में कई श्रद्वालु पूरे महीने के व्रत रखते हैं इस दौरान सोमवार के व्रत पडते हैं।जो शिव भक्त पूरे महीने के व्रत नहीं रख पाते हैं वो सिर्फ सावन सोमवार का व्रत रखकर शिव की कृपा पा सकते हैं।
श्रावण में सोमवार के दिन रखे जाने वाले व्रत को सावन सोमवार व्रत कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में सोमवार भगवान शिव का दिन माना है। विशेष मनोकामनाओं को लेकर इस मास में सोलह सोमवार व प्रदोष के व्रत भी प्रारंभ किए जाते हैं।
ज्योतिषीय महत्व – ज्योतिषशास्त्र में भी सावन महीने का महत्व है। भगवान शिव का विशेष वार सोमवार है जो चंद्र ग्रह से संबंधित है। श्रावण में भगवान शिव की पूजा अर्चना से कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है जिससे मन को मजबूती और चंद्रमा के शुभ परिणाम मिलते हैं। इधर अन्य ग्रहों के दोष भी दूर होते हैं।
वैज्ञानिक महत्व – श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा व व्रत करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और मन, इंद्रियां, शरीर और आत्मा शुद्ध होते हैं। व्रत के दौरान ताजा व हल्का भोजन करना चाहिए। इस तरह विधिपूर्वक पूजा व उपवास करने पर सेहत स्वस्थ बनी रहती है।
सुख समृद्धि की प्राप्ति – इस पवित्र माह में भगवान शिव की पूजा व व्रत से घर में सुख—शांति आती है वहीं नौकरी,व्यवसाय में प्रगति व मान—सम्मान मिलता है।
कांवड़ यात्रा – श्रावण के पावन महीने में शिव भक्तों द्वारा काँवड यात्रा की जाती है। श्रद्वालु तीर्थ स्थलों से गंगा जल से भरी काँवड़ को अपने कंधों रखकर पैदल यात्रा करते हैं और उस गंगा जल को ज्योर्तिलिंग या अन्य प्रमुख शिव मंदिरों पर जाकर शिवलिंग पर चढाकर मनोकामना मांगते हैं।
इस तरह श्रावण मास में इन सभी प्रमुख बातों का ध्यान रखकर और विधिपूर्वक पूजा पाठ व व्रत से भगवान शिव की कृपा का वरदान मिल सकता है।
।। श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनाएं ।।