नया व्यापार या कारोबार शुरू करते समय हरेक व्यक्ति की तमन्ना रहती है कि उसका कारोबार तरक्की के नए आयाम को छुए। लेकिन ऐसा होना हर बार संभव नहीं है। जहां कई लोग नया व्यापार शुरू करते ही सफलता के शिखर पर अग्रसर होने लग जाते हैं तो कई लोगों के हिस्से आती है अड़चनों की दीवार और कर्ज की मार। ग्रहों की गति के अनुसार विभिन्न ग्रहों व नक्षत्रों के नये नये योग आए दिन बनते-बिगड़ते रहते हैं। अच्छे योगों की गणना कर उनका उचित समय पर अपने जीवन में इस्तेमाल करना ही शुभ मुहूर्त पर कार्य संपन्न करना कहलाता है। अशुभ योगों में किया गया कार्य पूर्णतः सिद्ध नहीं होता। ज्योतिष विज्ञान की सहायता से नया व्यापार या ऑफिस शुरू करते वक़्त कुछ विशेष नियम व वास्तु टिप्स अपनाकर आप अपने व्यापार की दशा और दिशा दोनों को बेहतर कर सकते हैं।
कैसी हो दुकान या ऑफिस की वास्तु व्यवस्था
- स्वयं उत्तर पूर्व की ओर मुंह करके बैठें।
- व्यर्थ सामान को इधर-उधर फेंकना या रखना हानिप्रद हो सकता है।
- दफ्तर या दुकान में पश्चिम व दक्षिण दिशा में अधिक सामान अलमारी, फर्नीचर आदि रखें।
- दक्षिण दिशा में किसी देवी-देवता का चित्र ना लगाएं।
- प्रातःकाल ‘ॐ महालक्ष्म्यै च निद्यहे विष्णुपत्नी, च धीमहि तन्यो लक्ष्मी प्रचोदयात’ मंत्र का जाप दुकान खोलते समय करें।
मुहूर्त व दिन का रखें ख्याल
- नया व्यापार या दुकान के प्रारंभ का उपयुक्त मुहूर्त तिथि व समय निकलवाएं।
- शुभ दिन व समय के अनुसार ही नए व्यापार की शुरुआत करें।
- नए व्यापार का आरंभ सोम, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, रविवार के दिन ही करें मंगलवार के दिन करना शुभ नहीं माना जाता।
- मुहूर्त की दृष्टि से बुधवार व मंगलवार को उधार का लेन-देन शुभ नहीं माना जाता है।
- द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, अष्टमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, पूर्णिमा तिथियां शुभ मानी गई है। क्षय मास, मल मास, अधिक मास में कोई भी नया व्यापार करना वर्जित माना जाता है।
इन सरल सी बातों का ख्याल रख आप व्यापार की दशा-दिशा तो सुधार लेंगे ही साथ ही ऑफिस की सफलता के भी खुल जाएंगे नए द्वार।
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