जमीन पर बैठकर भोजन करने की परंपरा सदियों पुरानी है और स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी भी है। इस तरह खाना खाने से सेहत के साथ परिवार,रिश्तों में प्रेम भी बढता है। जानिये, बैठकर भोजन करने का वैज्ञानिक महत्व –
- जमीन पर बैठने के दौरान पैरों को क्रॉस करना पडता है जिससे टखनों व घुटनों पर जोर पड़ता है और रीढ़ की हड्डी, कंधों और छाती का लचीलापन भी बढ़ जाता है।
- जिस मुद्रा में बैठकर यानि पालथी मारकर हम खाना खाते हैं वह सुखासन या पद्मासन अवस्था होती है और इस तरह भोजन करने पर खाना अच्छी तरह पच जाता है।
- बैठकर खाना खाने पर पाचन क्रिया सही रहती है और खाना जल्दी पचता है। इस तरह भोजन करने के साथ योग भी होता है।
- हदय संबंधित परेशानियों से भी बचने के लिए बैठकर खाना ही लाभकारी होता है इससे शरीर में प्रमुख भागों तक रक्त का प्रवाह बेहतर ढंग से होता है।
- जमीन पर बैठकर भोजन के दौरान घुटने बार—बार मोड़ने पड़ते हैं जिससे घुटनों का बेहतर व्यायाम होता है और जोड़ों की समस्या से राहत मिलती है।
- इस तरह बैठकर खाने से कमर, घुटनों और गर्दन में दर्द आदि की समस्याएं भी नहीं आती हैं।
- घर में इस तरह एक साथ बैठकर खाने से परिवार में प्रेम बढता है और मानसिक तनाव दूर होता है और सेहत स्वस्थ रहने के साथ ही दीर्घायु भी होती है।
इस तरह धरती पर बैठकर और पैरों को क्रॉस कर खाना खाने से सेहत स्वस्थ रहने के साथ लंबी आयु और परिवार में प्रेम भी बढता है।
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