श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज यानि श्रावणी तीज त्यौहार मनाया जाता है। धर्म शास्त्रों के मुताबिक इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था और इस उपलक्ष्य में ही यह त्यौहार मनाया जाता है।
हरियाली तीज तिथि व मुहूर्त
हरियाली तीज तिथि | 3 अगस्त 2019 शनिवार |
तृतीया आरम्भ | 3 अगस्त को 01:37:23 से |
तृतीया समाप्त | 3 अगस्त को 22:06:45 पर |
निर्जला उपवास और शिव-पार्वती की पूजा – हरियाली तीज व्रत एवं पूजा के कुछ खास नियम होते हैं और मान्यता है कि इन पूजा नियम से ही यह व्रत संपूर्ण माना जाता है। हिन्दू धर्म में इस खास दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास कर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और पति की दीर्घ आयु व परिवार की सुख—शांति की कामना भी करती हैं।
यह है पूजा विधि नियम — इस त्यौहार के दिन सुहागिन महिलाएं सुबह जल्दी उठने के बाद स्नान शुद्वि के बाद विशेष रूप से श्रृंगार करते हुए गहने, हरे रंग की साडी व हरी चूड़ियाँ पहनती हैं। बाद में निर्जला व्रत का संकल्प लेती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा के लिए मंदिर जाती हैं।
इस दौरान भगवान शिव व देवी पार्वती की मूर्तियों को मिट्टी व रेत के माध्यम से बना कर विधिवत पूजा करती हैं और हरियाली तीज कथा भी कहती हैं।मंदिर में पूजा अर्चना के बाद महिलाएं अपने पति,सास,ससुर व वरिष्ठ लोगों के पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं।प्रकृति में हरियाली का वातावरण – हरियाली तीज त्यौहार के दौरान आस—पास व प्रकृति में हर जगह हरियाली का वातावरण बना रहता है जिससे लोगों के मन में भी सकारात्मकता व खुशी का संचार होता है इसलिए हरियाली तीज लोगों के मन में खुशी भावना उत्पन्न करती हैं।
सिंजारा का है खास महत्व — हरियाली तीज पर सबसे महत्वपूर्ण सिंजारा होता है। रीति रिवाज के अनुसार भेजे जाने वाले सिंजारे में श्रृंगार का सामान,साडी, मेहंदी, गहने व मिठाइयां भेजी जाती हैं और ससुराल में नवविवाहिता महिलाएं इसके आने का बेसब्री से इंतजार करती हैं। नव विवाहिताओं को सदा सुहागिन रहने की कामना को लेकर सिंजारे भेजा जाता है। इस त्यौहार पर घेवर की मिठाईयों का विशेष महत्व होता है और इन्हें सिंजारा में भेजा जाता है।
तीज पर झूला झूलने की रस्म — हरियाली तीज त्यौहार पर झूला झूलने की रस्म होती है। इस अवसर पर नव विवाहिताएं सुहागिन महिलाओं के साथ झूला झूलती हैं जिसे मन में खुशी व आत्मविश्वास का संचार होता है।