ज्योतिष शास्त्र कुंडली के विश्लेषण का विज्ञान है। मनुष्य के जन्म के समय से ही उसके जीवन के उपर ग्रह नक्षत्रों का प्रभाव होना प्रारम्भ हो जाता है। या यों कहें कि जन्म के समय अनुसार मनुष्य के ग्रह नक्षत्रों की स्थिति उसके पूर्व जन्म से अर्जित कर्मफल और भविष्य में होने वाले उसके परिणामों को जाहिर करती है।
व्यक्ति के जीवन में हो रहीं, छोटी या बड़ी हर प्रकार की घटनाओं के लिए कुंडली के ग्रहों के ग्रहों की स्थिति से काफी हद तक एक स्पष्टता जाहिर हो ही जाती है। कई बार आपने देखा होगा कुछ लोग सक्षम भी होते हैं, काफी मेहनत भी करते हैं लेकिन फिर भी नौकरी में सफलता उनको हाथ नहीं लगती। आपकी कुंडली के विश्लेषण (best career astrologer in delhi) से ये पता लगाया जा सकता है नौकरी के योग जन्मपत्री में बन रहें या नहीं।
कुंडली के शक्तिशाली ग्रह ही व्यक्ति के जीवन में हो रही घटनाओं के लिए उत्तरदायी होते हैं। अतः अगर शक्तिशाली ग्रह शुभ भाव वाला है तो जातक के जीवन में सकारात्मकता बनेगी और अशुभ भाव है तो जातक के जीवन में दुष्प्रभाव पैदा होंगे।
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कौनसे ग्रहों की स्थिति बनाती है नौकरी के योग ?
- कुंडली में स्थित दसवें स्थान को आपके कार्य से सम्बन्धित माना जाता है। अगर दसम भाव में सूर्य, मंगल या गुरु की दृष्टि पड़ रही है तो नौकरी के प्रबल होंगे। लेकिन अगर इन ग्रहों पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो तो जातक को नौकरी प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। अगर आपको इस तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है तो इनके उपाय अवश्य करवा लेवें
- अगर जातक के लग्न में मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, वृष या तुला राशि का है तो इस स्थिति में शनि और गुरु का एक-दूसरे से केंद्र या त्रिकोण में होना भी किसी सरकारी नौकरी की ओर संकेत करते हैं।
- चन्द्रमा, ब्रहस्पति अथवा चन्द्रमा, मंगल एक साथ केंद्र में होते हैं तो यह स्थिति सरकारी नौकरी के लिए अच्छा संकेत देती है।
- कुंडली में दसवें स्थान की स्थिति भी निर्णायक होती है। अगर ये स्थान बलवान है या इसके उपर एक से अधिक शुभ ग्रहों का प्रभाव है तो करियर और नौकरी में अच्छी सफलता मिलने के संकेत होते हैं।
कुछ अन्य मत्वपूर्ण बातें :
ज्योतिष (best career astrologer in delhi) आपको हर प्रकार की समस्या के लिए उपाय सुझाता है। आपकी कुंडली में अगर किसी ग्रह का बुरा प्रभाव है तो आप उपाय करके इसे सबल बना सकते हैं।
जीवन में होंने वाली शुभ और अशुभ घटनाओं के लिए राहू और केतु की दशा व अन्तर्दशा का प्रभाव होता है। दशम भाव को व्यवसाय और नौकरी से जोड़ कर देखा जाता है। इसकी दशा और अन्तर्दशा की स्थिति से नौकरी मिल सकने की सम्भावना बनती है।
इसी प्रकार एकादश भाव और द्वितीयेश की दशा और अन्तर्दशा भी नौकरी की सम्भावना को व्यक्त करती हैं। दशम भाव और दशमेश दोनों का सम्बन्ध ग्रह की दशा और महादशा से सीधा होता है।
अपनी कुंडली के सटीक विश्लेषण और नौकरी संबधित परेशानियों को दूर करने के लिए हमारे ज्योतिषाचार्य से परामर्श कर समाधान प्राप्त करें