हर इंसान के जन्म समय आकाश में ग्रह व नक्षत्रों की स्थिति अलग होती है।इंसान की जन्म कुंडली में इन ग्रह व नक्षत्रों की स्थितियों की वजह से उसका पूरा जीवन प्रभावित होता है। अगर कुंडली में ग्रहों की वजह से शुभ योग हैं तो ऐसे इंसान की जिंदगी सुख व शांति के साथ गुजरती है लेकिन अशुभ योग ज्यादा होने पर दुख व संघर्षों में जीवन व्यतीत होता है।
कुंडली में ग्रहों की वजह से योग बनते हैं। ग्रहों के योग एक ही राशि में स्थित होने या दृष्टि संबंध होने की वजह से बनते हैं।अगर जन्मकुंडली में मौजूद शुभ ग्रह की महादशा-अंतर्दशा चलती है तो सकारात्मक व शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। कुंडली में अशुभ या पापी ग्रह की महादशा या अंतर्दशा चलने से अशुभ व नकारात्मक,विपरीत फल प्राप्त होते हैं।
राजयोग — ज्योतिषशास्त्र में राजयोग महत्वपूर्ण योग है और जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में राजयोग होता है उनका पूरा जीवन सुख—सुविधाओं व धन वैभव के साथ गुजरता है।ज्योतिष में कई प्रकार के राजयोग होते हैं। यदि जातक की कुंडली में कोई भी राजयोग बनता है तो जीवन में सुखों की वृद्वि होती है।
गजकेसरी योग — ज्योतिष में गजकेसरी योग एक महत्वपूर्ण व विशेष योग है। कुंडली में जब गुरु व चंद्रमा केन्द्रस्थ हों या एक शुभ राशि में युति कर स्थित हो तो गजकेसरी योग बनता है। इस योग की वजह से ऐसा इंसान अपने जीवन में अपार धन, पद और प्रतिष्ठा हासिल करता है।
बुधादित्य योग — अगर किसी जन्म कुंडली में सूर्य व बुध ग्रह किसी शुभ भाव में एक साथ स्थित हो तो बुधादित्य योग बनता है। इस योग के प्रभाव से ऐसा जातक राजनीति व प्रशासनिक क्षेत्र में तरक्की के रास्ते पर आगे बढता है।
विदेश योग — हर इंसान का सपना होता है कि वह अपनी जिंदगी में एक बार विदेश की यात्रा करें। विदेश यात्रा करने के लिए जन्म कुंडली में कुछ विशेष योग का होना आवश्यक होता है।विदेश यात्रा के लिए कुंडली का बारहवां भाव प्रमुख रूप से जिम्मेदार होता है।कुंडली में दशम भाव व शनि की स्थिति से भी विदेश यात्रा की संभावनाओं के बारे में पता किया जा सकता है।