पूरे भारत में शारदीय नवरात्रि का त्यौहार नौ दिनों तक पूरी श्रद्वा व धूमधाम के साथ हर जगह मनाया जाता है। इस दौरान मां के नौ विभिन्न रूपों की नियमानुसार पूजा अराधना भक्तों द्वारा की जाती है और माता प्रसन्न होकर हर मनोकामना पूरी कर कष्टों को भी दूर करती हैं।
शैलपुत्री – देवी मां के पहले रूप को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री हुआ। नवरात्र के पहले दिन मां के इसी रूप की पूजा अराधना की जाती है।इनका वाहन वृषभ है। देवी के दाएं हाथ में त्रिशूल धारण किया हुआ है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है।
ब्रह्मचारिणी – नवरात्र में दूसरे दिवस देवी माँ को ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है। देवी के इस नाम में ब्रह्म का अर्थ तपस्या और चारिणी का मतलब आचरण अर्थात् तप का आचरण करने वाली है। देवी ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी और इसी वजह से ब्रह्मचारिणी नाम से संबोधित किया गया है। इस रूप में देवी के दाएं हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल धारण किया है।
चंद्रघंटा – तीसरे दिन देवी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। इस रूप में देवी के सिर पर घंटे के आकार का आधा चन्द्रमा और बजती हुई घंटी का वर्णन किया गया है। देवी का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है और हाथ में खड्ग व अस्त्र-शस्त्र हैं।
कूष्मांडा –चौथे दिन देवी के कूष्मांडा स्वरूप में पूजा अर्चना की जाती है। देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी इसीलिए इनका कूष्मांडा नाम दिया गया है। देवी के इस रूप में उनकी आठ भुजाएं हैं और हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा का वर्णन है।
स्कंद माता – देवी दुर्गा का पांचवा रूप स्कंद माता कह कर पुकारा जाता है और उनके पुत्र जिसका नाम स्कन्दा है और बालरूप में उनकी गोद में बैठे हुए है। देवी के दोनों हाथों में कमल है।
कात्यायनी – देवी का छटवां रूप कात्यायनी का है और छठवें दिन माता के इस रूप की पूजा अर्चना की जाती है। महर्षि कात्यायन ने कठिन तपस्या की थी और उनकी इच्छा थी कि देवी के रूप में उन्हें एक पुत्री प्राप्त हो। इसलिए मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और कात्यायनी कहलाईं। देवी कात्यायनी के एक हाथ में तलवार है व एक हाथ में कमल का फूल सुशोभित है व वाहन सिंह है।
कालरात्रि – माँ दुर्गा का सातवाँ रूप कालरात्रि है। इस रूप में देवी के शरीर का रंग एकदम काला होने का वर्णन है। देवी काल से रक्षा करने वाली शक्ति है। हाथ में तेज धार तलवार है। सातवें दिन इनकी पूजा अर्चना की जाती है।
महागौरी – नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी देवी की पूजा की जाती है। इस रूप में देवी के सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं व चार भुजाएं, वाहन वृषभ है। देवी के इस रूप में पूजा करने का विशेष धार्मिक महत्व माना है।
सिद्धिदात्री – देवी का नौवां रूप सिद्धिदात्री हैं जो सभी सिद्धियों को देने वाली हैं। देवी के हाथ में कमल,चक्र,गदा व शंख है। नवरात्र में अंतिम नौवें दिन इनकी पूजा अराधना की जाती है। इस दिन पूजा व उपवास पूर्ण करने पर भक्त को विशेष शुभ फल की प्राप्ति होती है।