किसी भी इंसान के जीवन में वैवाहिक सुख होने से जीवन शांतिपूर्वक गुजरता है। ज्योतिषशास्त्र अनुसार महिलाओं की कुंडली में बृहस्पति व पुरूष की जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह शादी,संतान व सुखमय शादीशुदा जीवन की स्थिति को बताते हैं।
अगर दोनों की कुंडली में ग्रह शुभ व मजबूत स्थिति में होते हैं तो जिंदगी शांति व सुखों के साथ गुजरती है और अशुभ ग्रहों के प्रभाव या ग्रह कमजोर स्थिति में होने पर दुखों का सामना करना पडता है।
स्त्री की कुंडली में ग्रह व वैवाहिक जीवन – किसी भी स्त्री की जन्म कुंडली में गुरु ग्रह 7वें तथा 8वें भाव को अधिक प्रभावित करता है। अगर यह गुरु शनि से प्रभावित है तो विवाह में विलंब की संभावना बनी रहती है और राहु के साथ होने पर प्रेम विवाह योग की संभावना बन जाती है।
महिला की जन्म कुंडली में अगर बृहस्पति खराब है तो ऐसी महिला नकारात्मक व क्रूर विचारधारा की होती हैं और संतान सुखों में भी कमी मिलती है। इसके अलावा बृहस्पति खराब होने से महिला को पेट संबंधित समस्या भी हो सकती है और मोटापा भी बढ जाता है। अगर स्त्री की कुंडली के सप्तम भाव में चंद्रमा है तो ऐसी स्त्री का स्वभाव मधुर होता है। महिला की जन्म कुंडली में सप्तम भाव से उसके ससुराल की दूरी के बारे में भी पता लगाया जा सकता है।
ज्योतिष अनुसार अगर सप्तम भाव में वृष,सिंह,वृश्चिक या कुंभ राशि स्थित हो तो लडकी की शादी उसके जन्म स्थान से 90 किलोमीटर के अंदर ही होगी और इस भाव में शुभ,मजबूत चंद्र,शुक्र या गुरू हो तो लडकी का विवाह उसके जन्म स्थान के समीप ही होगा।
स्त्री की शादी से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी द्वारा जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति व प्रमुख तथ्यों का सही निरीक्षण करवा लेना चाहिए जिससे शादी व उसके बाद के वैवाहिक जीवन के बारे में काफी कुछ पता किया जा सकता है और उचित उपाय भी किए जा सकते हैं।
पुरूष की कुंडली व शादीशुदा जीवन – जिस तरह किसी भी स्त्री की कुंडली में गुरू दांपत्य जीवन का कारक होता है उसी प्रकार पुरूष की जन्मपत्री में भी शुक्र वैवाहिक जीवन के बारे में बताता है।
शुक्र जीवन में प्रेम,रोमांस का कारक होता है और पुरूष की कुंडली में शादी, संतान, सौंदर्य व प्रेम,कामवासना का भी कारक होता है। अगर शुक्र शुभ है तो वैवाहिक जीवन सुखमय गुजरता है लेकिन अगर किसी जातक की कुंडली में शुक्र अशुभ है तो उसके शादीशुदा जीवन में कई तरह की परेशानियां आती है और संतान प्राप्ति बाधा और पति—पत्नी के रिश्तों में तनाव तक हो सकता है और आर्थिक,स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं का सामना भी करना पडता है।
उपाय – इस तरह स्त्री की कुंडली में गुरू व पुरूष की कुंडली में शुक्र विवाह व संतान सुख के लिए कारक होते हैं।
अगर स्त्री व पुरूष की कुंडली में इन ग्रहों की मजबूत व शुभ स्थिति प्रभाव देने वाली है तो वैवाहिक जीवन शांतिपूर्ण व्यतीत होता है और अगर अशुभ परिणाम देने वाले हैं तो भी इनके उपाय कर सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
गुरू ग्रह को मजबूत बनाने के लिए विवाह योग्य स्त्री को गुरूवार का व्रत,केले के पौधे की पूजा व पीली चीजों का दान व ज्योतिषीय सलाह के बाद पुखराज धारण करना बताया गया है।
पुरूष शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए ज्योतिषीय सलाह के बाद शुक्र का रत्न हीरा धारण कर सकते हैं और शुक्र से संबंधित उपाय किए जा सकते हैं और विवाह व संतान से संबंधित समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
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