पितरों के प्रति श्रद्वा अर्पित करने के भाव को श्राद्ध कहते हैं।पितृ पक्ष (श्राद्ध) 13 सितंबर से शुरू होकर 28 सितंबर 2019 तक रहेगा। धार्मिक ग्रंथों में मान्यता है कि श्राद्ध कर अपने पूर्वजों के प्रति ऋण चुकाया जाता है और श्राद्ध पक्ष के दौरान महत्वपूर्ण बातों व सावधानियों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।
श्राद्ध का अर्थ – पितृपक्ष में पितरों को विशेष रूप से याद किया जाता है और पितरों के प्रति तर्पण अर्थात जलदान,पिंडदान समर्पित किए जाते हैं। पूर्वजों का स्मरण करने और परिवार में सुख-शांति की कामना करने को लेकर श्राद्ध किए जाते हैं।
श्राद्ध के जरूरी नियम व सावधानियां — श्राद्ध के दौरान कुछ जरूरी बातों का ध्यान व सावधानियां रखनी चाहिए अन्यथा विपरीत परिणाम मिल सकते हैं।
- श्राद्ध को हमेशा दोपहर बाद करना चाहिए और जल्दी सुबह और अंधेरे में श्राद्ध नहीं करना चाहिए।
- श्राद्ध को हमेशा अपने घर या फिर पुण्यतीर्थ,सार्वजनिक भूमि पर ही करना चाहिए तभी अनुकूल परिणाम मिलते हैं।भूलकर भी दूसरों के घर श्राद्ध नहीं करें।
- श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन अवश्य करवाना चाहिए अन्यथा बिना ब्राह्मण को भोजन कराए श्राद्ध करने पर पितर भोजन नहीं करते हैं और श्राप देकर लौट जाते हैं।
- श्राद्ध के दौरान गाय का घी, दूध या दही उपयोग में लेने का महत्व होता है।
- श्राद्ध काल के दौरान अगर कोई भिखारी आता है तो उसे आदरपूर्वक भोजन कराना चाहिए अन्यथा श्राद्ध कर्म का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है।
- पिंडदान करते समय दक्षिण दिशा में मुंह रखना चाहिए।
- श्राद्ध कर्म को घर में बडे पुरूष सदस्य द्वारा ही किया जाना उचित माना है।
- श्राद्ध में ब्राह्मण के भोजन करने के बाद उन्हें उचित दक्षिणा देकर आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए और दरवाजे तक जरूर छोडने जाना चाहिए तभी पितरों की विदाई होती है।
इस तरह श्राद्ध पक्ष के दौरान इन आवश्यक बातों व सावधानियों का ध्यान कर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है और परिवार में सदैव सुख—शांति रहती है।