निर्धनता दूर और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करता है श्रीयंत्र

श्रीयंत्र धन की देवी महालक्ष्मी का प्रतीक है और इसमें अद्भुत शक्तियां होती है।इस यंत्र की विधिवत स्थापना व पूजा से जीवन में अनुकूल परिणाम व चमत्कारिक लाभ मिलते हैं। यंत्र की स्थापना व पूजा के समय जरूरी नियमों का ध्यान रखना चाहिए।जानिये, श्रीयंत्र के बारे में महत्वपूर्ण बातें व पूजा,स्थापना का विधि विधान —

शुभ मुहूर्त में स्थापना

श्रीयंत्र को शुभ मुहूर्त में ताम्रपत्र, रजतपत्र या स्वर्णपत्र पर बनवाया जाता है और गुरु योग,रवि पुष्य योग,नवरात्रि,धनतेरस,दीपावली, बसंत पंचमी आदि शुभ दिन पूजा स्थान या तिजोरी में विधिवत स्थापित करना चाहिए।

पूजा विधि

शुभ दिन स्नान व स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख कर साफ आसन पर बैठना चाहिए। इसके बाद श्रीयंत्र को पंचामृत व गंगाजल से स्नान करा ईशान कोण में एक आसन पर बिछे हुए लाल वस्त्र पर स्थापित कर विधिवत पूजा के बाद श्रीसूक्त, कनकधारा स्तोत्र या दुर्गा सप्तशती पाठ,मंत्रों का जाप करना चाहिए।

मंत्र

“ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं नम्:”
“ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्म्यै नम्:”

श्री यंत्र के सामने शुद्ध घी का दीया जलाकर इस मंत्र का जाप करना विशेष लाभकारी होता है और श्रीयंत्र की प्राण प्रतिष्ठा के समय इस मंत्र का 21 माला जाप करना चाहिए।

श्रीयंत्र के लाभ

इस यंत्र को अपने घर,दुकान या कार्यालय में स्थापित कर नियमित दर्शन व पूजन करने पर धन,उत्तम स्वास्थ्य,मान—सम्मान,परिवार में सुख—समृद्वि व प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होती है।श्रीयंत्र की शुक्रवार के दिन पूजा का विशेष महत्‍व होता है। पूजा के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

दरिद्रता व रोगों का नाश

यंत्र की स्थापना से कुंडली में दरिद्रता का नाश होता है। जिन लोगों के जीवन में हमेशा दुखों का आना लगा रहता है उन्हें अपने घर या व्यापारिक प्रतिष्ठान में श्रीयंत्र की विधिपूर्वक स्थापना और नियमित दर्शन व पूजन करना चाहिए जिससे लक्ष्मी कृपा से धन का आगमन प्रारंभ होता है और गरीबी के साथ रोग,दोष भी समाप्त होते हैं और पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है।

यंत्रों में सर्वश्रेष्ठ

सभी यंत्रों में सर्वश्रेष्ठ श्री यंत्र को सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने में सक्षम माना है और अद्भुत व चमत्कारी शक्तियों से युक्त होता है।इसके दर्शनमात्र से कई लाभ मिलने प्रारंभ हो जाते हैं।

इन सावधानियों का रखें ध्यान

यंत्र की स्थापना व पूजा के दौरान सावधानियां बरतनी चाहिए। इसकी शुभ मुहुर्त में ही स्थापना और नियमित पूजा होनी चाहिए। नियमित पूजा न करने से नकारात्मक प्रभाव भी मिल सकते हैं।

इस तरह श्री यंत्र लक्ष्मी की कृपा के साथ जीवन की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है।

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