बसंत पंचमी मुहूर्त 2019
तिथि | 10 फरवरी,रविवार |
पूजा समय | 07:03:57 से 12:35:38 तक |
वसंत पंचमी मनाने का कारण
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी तब उन्हें सन्नाटा होने पर अपनी रचना में कहीं कमी का एहसास हुआ जिसके बाद श्री हरि से चर्चा कर उन्होंने सृष्टि को वाणी देने के लिए वाग्यशक्ति माँ सरस्वती को अभिमंत्रित किया।तब माँ सरस्वती ने प्रकट होकर वातावरण में वीणा वादन से सम्पूर्ण सृष्टि में वाणी शक्ति भर दी और सृष्टि में सब जगह शब्दों की आवृत्ति होने लगी इसलिए उस दिन से देवी सरस्वती का प्रकाट्य दिवस माना जाने लगा है। इस मामले में ऋग्वेद में भी सरस्वती पूजन अर्चना का महत्व बताया गया है और वसंत पंचमी मनाई जाती रही है।
देवी सरस्वती की विधिपूर्वक करें पूजा — देवी मां सरस्वती की वसंती पंचमी पर पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए। इस दिन सुबह कलश को पूर्व या ईशान दिशा में रखना चाहिए। पूजा के दौरान अक्षत, दूध, दही, शहद, चंदन, श्वेत पुष्प, नारियल आदि रखने चाहिए। धार्मिक मान्यता अनुसार पुस्तक एवं कलम में सरस्वती का निवास होता है इसलिए वसंत पंचमी पर पुस्तकों व कलम की पूजा की जाती है।
अबूझ मुहूर्त व नवीन कार्यों के लिए शुभ दिन — वसंत पंचमी ऐसा दिन है जब बिना पंचाग देखे भी किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ किया जा सकता है इसलिए इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना है। वसंत पंचमी को नए व्यवसाय का प्रारंभ, गृह प्रवेश सहित कई मांगलिक कार्य संपन्न किए जा सकते हैं।
समृद्धि व बौद्धिकता आने का प्रतीक वसंत पंचमी – वसंत पंचमी जीवन में समृद्धि व बौद्धिकता के आने का प्रतीक होती है। इस दिन को शुभ मानकर छोटे बच्चों को पहली बार अध्ययन के लिए स्कूल भी भेजा जाता है। घर, कार्यस्थल व स्कूलों में इस दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना विशेष तौर पर की जाती है।
खासकर संगीत,कला क्षेत्र से जुडे लोग इस दिन देवी माँ सरस्वती की पूजन अर्चना करते हैं। इस शुभ दिन पर गरीब छात्रों को पुस्तक, पेन, आदि विद्या उपयोगी वस्तुओं का दान भी किया जाता है।
उत्साह व उमंग का पर्व — वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन उत्सव मनाकर विद्या की देवी सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है इसलिए इस दिन को वसंत पंचमी का पर्व पुकारा जाता है। धर्म शास्त्रों में इस पर्व को ऋषि पंचमी, श्रीपंचमी भी कहा गया है।वसंत ऋतु प्रारंभ होने से प्रकृति का कण-कण खिल उठता है और मानव व पशु-पक्षी तक भी उत्साह, उमंग से भर जाते हैं।
राहु के दुष्प्रभाव से मिलती है मुक्ति — ज्योतिष अनुसार अगर राहु ग्रह जन्म कुंडली में अशुभ प्रभाव दे रहा है तो देवी सरस्वती की पूजा अर्चना से पापी ग्रह राहु के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा अर्चना का जीवन में विशेष लाभ होता है।