घर बनाने से लेकर उसके निर्माण के बाद भी उसकी सजावट आदि में वास्तु एक अहम रोल होता है। घर से जुड़ा कोई भी निर्माण सभी वास्तु विशेषज्ञों के सलाह के बाद करवाना अच्छा रहता है। घर में अनुचित तरीके से किये गए निर्माण वास्तु दोष उत्पन्न करते हैं। इनका सीधा असर घर में रहने वाले सदस्यों पर पड़ता है कई बार बड़ा वास्तु दोष हो तो की किसी बड़े अनिष्ट का कारण भी बन जाता है।
आइये जानते हैं वास्तु दोष से जुड़ी बातें और वास्तुदोष निवारण के उपाय:
मंदिर में गणेश जी प्रतिमा:
प्रतिमा या चित्र में बाएं हाथ की ओर मुड़ी हुई सूंड वाली प्रतिमा या मूर्ति लेकर आएं। दायें तरफ सूंड वाले गणपति हठी माने जाते हैं इसलिए उनकी साधना भी कठिन होती हैं। इस बात का ध्यान रखें।
रसोई घर:
रसोई घर का निर्माण अग्नि के कोण आग्नेय (दक्षिण- पूर्व) में किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है जो अहितकर होता है।
रसोई घर के वास्तुदोष निवारण के लिए: अगर आपके घर में रसोई घर गलत स्थान पर है तो अग्निकोण में बल्ब लगा दें। जिससे रसोई घर का वास्तु दोष दूर हो जाएगा।
घोड़े की नाल:
वास्तु शास्त्र में घोड़े की नाल को बहुत महत्व और सकारात्मक ऊर्जा का स्त्रोत माना गया है। घर में एक यू आकार की घोड़े की नाल लाकर टांग दें, काले घोड़े की हो तो सबसे बेहतर है। इससे घर में सुख, शांति व समृद्धि बनी रहती है।
घर में स्वास्तिक:
घर में मुख्य द्वार पर सिंदूर से एक स्वास्तिक चिन्ह बना दें। स्वास्तिक बहुत शुभ माना गया जो नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है।
सोने की दिशा:
शयन कक्ष दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। सोते समय आपका सर पूर्व या दक्षिण में होना चाहिए।
उत्तर पूर्व में कचरा न रखें:
उत्तर एवं पूर्व दिशा को सदैव साफ़ सुथरी और रौशनी से भरपूर रखें। इस दिशा में जगह खुली रखनी चाहिए, कोई भी भारी सामान यहाँ नहीं रखना चाहिए। ऐसा नहीं करना वास्तु दोष का कारण बनता है।
टॉयलेट सीट:
टॉयलेट सीट इस तरह लगाएँ कि उस पर उत्तर या दक्षिण की और मुंह करके बैठ जा सके।
इन सब बातों के अलावा भी कई ऐसी बातें हैं जो वास्तु के अनुसार महत्वपूर्ण मानी जाती है। घर में कोई बड़ा वास्तु दोष होने पर जीवन में कई तरह ही की परेशानियाँ, संकट उत्पन्न होते रहते हैं। इन सबके लिए वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करना चाहिए।