अकसर लोगों में जन्म राशि और नाम राशि को लेकर लोगों में संशय बना रहता है कि किस नाम को मान्यता दी जाए। मनुष्य के जन्म समय पर नक्षत्र और ग्रहों की स्थिति के अनुसार कुंडली का निर्माण किया जाता है जिसमें आने वाले जीवन से जुड़े कई फलादेश बताये गए होते हैं।
जन्म राशि और नाम राशि में अंतर :
ज्योतिष शास्त्र में और हम सब की जन्म कुंडली(kundali) में बारह राशियाँ होती हैं; उसमें से एक होती है चंद्र राशि – जन्म के समय चंद्र जिस राशि में होता है उसे ही वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म राशि कहा जाता है। इसी तरह सूर्य जिस राशि में जातक के जन्म के समय होता है उसे सूर्य राशि कहा जाता है। जन्म राशि पर आधारित अक्षर के आधार पर नाम रखा जाता है इस स्थिति में नाम राशि और जन्म राशि एक हो जाती है।
कई बार ऐसा भी होता है जन्म नाम अलग होता है जबकि प्रचलित नाम जिसे सब लोग जानते हैं के अनुसार राशि तय की जाती है जिसे नाम राशि कहा जाता है। अगर किसी व्यक्ति का नाम उसकी चंद्र राशि के अनुसार नहीं रखा जाता तो उसकी नाम राशि भी अलग हो जाती है।
ज्योतिष शास्त्र में एक श्लोक है :
विद्यारम्भे विवाहे च सर्व संस्कार कर्मषु। जन्म राशिः प्रधानत्वं, नाम राशि व चिन्तयेत्।।
अर्थात विद्या आरम्भ करते समय, यज्ञोपवीत, विवाह के समय आदि संस्कारो में जन्म राशि की प्रधानता होती है, जबकि दैनिक राशि के लिए नाम राशि देखनी चाहिए।
क्या होती है जन्म राशि ? कैसे निकाले जाते हैं जन्म नाम?
जातक के जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है उसे ही जातक की जन्म राशि माना जाता है। जबकि नाम के अक्षर का निर्धारण नक्षत्र चरण के अनुसार किया जाता है जिसके आधार पर जातक का नामकरण भी किया जाता है।
शास्त्रोक्त मान्यता है कि जन्मनाम को प्रचारित ना किया जाए क्योंकि इससे जातक के आयुष्य का क्षरण होता है। उदाहरण के तौर पर भगवान राम का जन्मनाम ‘हिरण्याभ’ है लेकिन जनमानस उनके इस नाम से परिचित नहीं है।
भगवान राम का जन्म नवमी तिथि को पुष्य नक्षत्र के अन्तर्गत कर्क राशि में हुआ था और नाम रखा गया था ‘हिरण्याभ’। इसलिए जन्म नाम को प्रचलन से दूर रखा जाता है। हालाँकि इसके लिए जन्म राशि के अक्षर के अनुसार ही प्रचलित नाम रख लिया जा सकता है।
जन्म राशि या नाम राशि किसका अधिक महत्त्व है ?
भारत में दो प्रकार के नामों का महत्व है- प्रचलित नाम जिसे आम बोल चाल में बोलता नाम भी कह दिया जाता है। और दूसरा, राशि नाम। जैसा कि हमने उपर भी चर्चा की है राशि का नाम जन्म नक्षत्र के चरण अक्षर के अनुसार रखने का प्रावधान है या जन्म पत्री में चन्द्रमा जिस राशि में स्थित होता है, उसके जन्म राशि तय की जाती है। जबकि पुकारने वाला नाम वह है, जो समाज में व्यावाहारिक रूप से प्रचलित रहता है। इससे नाम राशि तय होती है जिसका प्रभाव कर्म के अनुसार बनता है। अत: कुछ उद्देश्यों में इसे भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
विवाहे सर्वमागंल्ये यात्रादौ ग्रह गोचरे जन्मराशेः प्रधानतत्वं नामराशिं न चिन्तयेत। देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके नामराशेः प्रधानतत्वं जन्मराशि न चिन्तयेत।।
अर्थात समस्त शुभ कार्यो में, यात्रा में और ग्रह गोचर फल में विचार हेतु जन्मराशि अथवा कुण्डली के अनुसार जो राशि है, उसकी प्रधानता होती है। ऐसे में जन्म तिथि या राशि के नाम पर आधारित और जन्म तिथि पर आधारित राशि को ही प्रभावी मानें। देश, गांव, गृह का प्रवेश, युद्ध, सेवा, नौकरी, मुकदमा या व्यापार में पुकारने वाले प्रचलित नाम की राशि का प्रयोग करना चाहिए।
अत: कोई अन्य नाम जो जातक की जन्मराशि व नामाक्षर से सम्बन्धित हो उसे प्रचलित नाम के रूप में रखा जाना उचित है। इससे जातक की राशि में परिवर्तन नहीं होता किन्तु यदि जन्मनाम व प्रचलित नाम की राशियां अलग-अलग हों तो ऐसी स्थिति में जन्मनाम से ही विवाह, मूहूर्त, साढ़ेसाती, ढैय्या, व गोचर इत्यादि का विचार किया जाना चाहिए।
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